मजदूरों की सहायता के बदले आंकड़ो के खेल में जुटी है सरकार : प्रो. चंद्रेशेखर
मधेपुरा। एक छोटी सी झोपड़ी या एक दो कमरे के इंदिरा आवास में जहां पूरा कुनबा रहता ह
मधेपुरा। एक छोटी सी झोपड़ी या एक दो कमरे के इंदिरा आवास में जहां पूरा कुनबा रहता है। वहां बाहर से आ रहे मजदूर को होम क्वारंटाइन करने की सलाह देना बिहार सरकार के मानसिक दिवालियापन को जाहिर कर रहा है। सीएम नीतीश कुमार स्थिति की गंभीरता समझे बगैर उल जलूल फैसला ले रहे हैं। बिहार सरकार मजदूरों की घर वापसी कराने में पूरी तरह नाकाम रही जो मजदूर किसी तरह घर लौट आए उनके लिए क्वारंटाइन सेंटर चलाने में भी विफल साबित हो गई है। उक्त बातें पूर्व आपदा प्रबंधन मंत्री सह विधायक प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कही। उन्होंने कहा कि बिहार में मजदूरों की दुर्दशा और सरकार के कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा है। उन्होंने कहा इन्हीं मजदूरों की वजह से बिहार में थोड़ी बहुत आर्थिक खुशहाली आई थी। जिसे नीतीश कुमार अपने सरकार का कार्य बताकर पीठ थपथपा रहे थे। अभी जब इन मजदूरों की जिदगी पर बन आई है तो सरकार हर तरह से पल्ला झाड़ रही है। किसी तरह से पैसे जुगाड़ कर पैदल, ट्रक से भाड़ा देकर ट्रेन से जब यह मजदूर यहां पहुंचे हैं। तो इन्हें पहले क्वारंटाइन सेंटर में रखने की बात कही गई। लेकिन सेंटर की व्यवस्था का यह आलम है कि लोगों को भोजन नहीं मिल रहा है। डिग्निटी किट के नाम पर लूट मची है। अब इन सेंटरों को भी बंद कर बाहर से आने वाले मजदूरों को होम क्वारंटाइन करने की बात हो रही है जो सरासर गांव समाज के लिए खतरा बन जाएगा। उन्होंने कहा कि
15 वर्ष में एक सुई की फैक्ट्री नहीं लग सकी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा बस देने का मामला हो लालू भोजनालय चलाने का मामला हो या फिर कांग्रेस द्वारा ट्रेन किराया एवं बस देने का मामला हो केंद्र एवं राज्य सरकार ने रोड़ा अटकाकर लाचार बेबस लोगों की सहायता करने से वंचित किया जा रहा है।. सरकार न तो गरीबों के लिए कुछ करना चाहती है न किसी को कुछ करने देना चाहती है। वह सिर्फ कॉरपोरेट के लिए काम कर रही है। ऐसे गरीब विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकना ही एकमात्र विकल्प है।