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उदाकिशुनगंज में उल्लास पूर्वक मनाई गई गोव‌र्द्धन पूजा

मधेपुरा। अनुमंडल क्षेत्र में गुरुवार को धूमधाम से गोवर्धन पूजा मनाया गया। लोगों ने परंपरागत तर

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 07:40 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 07:40 PM (IST)
उदाकिशुनगंज में उल्लास पूर्वक मनाई गई गोव‌र्द्धन पूजा
उदाकिशुनगंज में उल्लास पूर्वक मनाई गई गोव‌र्द्धन पूजा

मधेपुरा। अनुमंडल क्षेत्र में गुरुवार को धूमधाम से गोवर्धन पूजा मनाया गया। लोगों ने परंपरागत तरीके से गायों की पूजा की। पूरी निष्ठा और विधि विधान से पूजा की गई। उल्लेखनीय है कि दीपावली के अगले दिन गोव‌र्द्धन पूजा मनाएं जाने की परंपरा चलता रहा है। इस पर्व को ¨हदू समुदाय के लिए निष्ठा के साथ मनाते है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्?ण गोव‌र्द्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। यही नहीं इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्?ण को उनका भोग लगाया जाता है।  इन पकवानों को 'अन्नकूट' भी कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने देव राज इंद्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।इस बार गोवर्धन पूजा पर लोगों ने खास तैयारियां की।

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गोवर्धन पूजा का महत्व:

गोवर्धन पूजा के दिन गाय-बैलों की पूजा की जाती है। इस पर्व को 'अन्नकूट'के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सभी मौसमी सब्जियों को मिलाकर अन्नकूट तैयार किया जाता है और भगवान को भोग लगाया जाता है। फिर पूरे कुटुंब के लोग साथ में बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी उम्र और आरोग्य की प्राप्ति होती है। यही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इस पर्व के प्रभाव से दरिद्रता का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो साल भर दुख उसे घेरे रहते हैं। इसलिए सभी को चाहिए कि वे भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय अन्नकूट उत्सव को प्रसन्न मन से मनाएं। इस दिन भगवान कृष्ण को नाना प्रकार के पकवान और पके हुए चावल पर्वताकार में अर्पित किए जाते हैं। इसे छप्पन भोग की संज्ञा भी दी गई है।इसी दिन शाम को दैत्यराज बलि के पूजन का भी विधान है।

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गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किया जाता है। उसके बाद लोग अपने इष्ट देवता का ध्यान करते है। फिर घर के मुख्य दरवाजे के सामने गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है। गोबर के बने पर्वत को पौधों, पेड़ की शाखाओं और फूलों से सजाया जाता है। गोबर के पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित किया जाता है। पशुपालक गाय, बैल, भैंस आदि पशुओं को स्नान कराकर उनका श्रृंगार करते है। फिर उन्हें रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करते है। पशु नहीं होने की स्थिति में लोगों ने दूसरे की गाय की पूजा की। वहीं गाय का चित्र बनाकर भी लोगों ने पूजा की परंपरा को निभाया।

क्षेत्र में पूजा की रही धूम

अनुमंडल मुख्यालय सहित क्षेत्र के गोपालपुर, शाहजादपुर, नयानगर, खाड़ा, बुधमा, लश्करी, जौतेली, मंजौरा, बीड़ीरणपाल, लक्ष्मीपुर, रहटा फनहन, बराही आनंदपुरा, मधुबन आदि गांव में गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाया गया।


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