महासमर.. जीत हार में अहम भूमिका निभाएंगे स्थानीय क्षत्रप!
-दिग्गजों के साथ क्षत्रपों की साख भी दांव पर -विधायकों एवं विधानसभा चुनाव के टिकटार्थी लगे ह
-दिग्गजों के साथ क्षत्रपों की साख भी दांव पर
-विधायकों एवं विधानसभा चुनाव के टिकटार्थी लगे हैं जोर आजमाइस में
-आलाकमान के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है स्थानीय क्षत्रपों के ऊपर
-मधेपुरा एवं सुपौल के 12 विधायकों के ऊपर अपने क्षेत्र में बढ़त दिलाने की है जिम्मेदारी
-मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में तीन विधायक राजद एवं तीन है जदयू के
-सुपौल में पांच विधायक एनडीए के एवं एक राजद के
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राकेश रंजन,संवाद सूत्र,सिंहेश्वर(मधेपुरा) : कोसी के दो लोकसभा क्षेत्र दिग्गजों के साथ-साथ यहां के क्षत्रपों की भी परीक्षा होगी। क्षेत्र के विधायकों के साथ यहां के स्थानीय नेता एवं विधानसभा चुनाव के टिकटार्थियों को साबित करने की चुनौती है। विधायक एवं उसके दावेदारों भी अपने विधानसभा क्षेत्र में जमकर पसीना बहा रहे हैं। ताकि इस चुनाव में प्रत्याशी को बढ़त दिलाई जा सके और अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में टिकट कन्फर्म हो सके। खासकर ऐसे में तब जब एक साल बाद ही विधानसभा का भी चुनाव होने जा रहा है। मधेपुरा एवं सुपौल के लोकसभा चुनाव में कोसी के 12 विधायक हैं। इसमें से सात पर जदयू, चार पर राजद एवं एक पर भाजपा काबिज है। यानी एनडीए आठ एवं राजद चार विधानसभा क्षेत्र पर काबिज है। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि जदयू एवं राजद ने बीते विधानसभा चुनाव में मिलकर लड़ा था। इसमें उस समय के महागठबंधन को 11 सीट आई थी। परंतु अभी हालात बदले हुए है। जदयू जहां महागठबंधन से निकलकर एनडीए के साथ हैं। वहीं एनडीए के साथ रहे हम के जीतनराम मांझी एवं रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा राजद की अगुवाई वाली महागठबंधन के हिस्सा है। एनडीए की तरफ से दोनों सीट पर जहां जदयू लड़ रही है। वहीं महागठबंधन की तरफ से मधेपुरा से राजद एवं सुपौल से कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।
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विधायकों पर जिम्मा है बढ़त दिलाने का
पार्टी अपने विधायकों से यह अपेक्षा रख रखी है कि वो अपने विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को बढ़त दिलाएगी। जदयू के हिस्से सबसे अधिक विधानसभा की सीट रहने से सर्वाधिक दबाब उसके विधायकों पर है। खासकर यह दबाब इसीलिए और बढ़ हुआ है कि बीते 11 दिनों से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सीएम नीतीश कुमार मधेपुरा में ही है। सीएम मधेपुरा से न सिर्फ कोसी सीमांचल के एनडीए प्रत्यशियों की जीत के लिए रणनीति बनाने में लगे हैं। बल्कि मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र पर स्थानीय कार्यकर्ताओं से लगातार विमर्श भी कर रहे हैं। वहीं सुपौल में महागठबंधन कहानी कुछ अलग है। यहां महागठबंधन के उम्मीदवार की जगह राजद विधायक एक निर्दलीय प्रत्याशी का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।
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मधेपुरा में दोनों तरफ बराबर है विधायक
मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में जदयू एवं महागठबंधन के हिस्से बराबर बराबर विधायकों की संख्या है। जदयू के हिस्से की तीन सीट में आलमनगर,बिहारीगंज एवं सोनवर्षा(सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र है। वहीं राजद के हिस्से मधेपुरा,सहरसा एवं महिषी विधानसभा का क्षेत्र है। फिलहाल राज्य मंत्रिमंडल में इस लोकसभा क्षेत्र से किसी विधायक का प्रतिनिधित्व नहीं है। यद्यपि राजद,जदयू की महागठबंधन सरकार के समय मधेपुरा विधायक प्रों चंद्रशेखर एवं महिषी विधायक अब्दुल गफूर राज्य मंत्रिमंडल में शामिल रहे थे।
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सुपौल से है दो मंत्री
सुपौल लोकसभा क्षेत्र के दो विधायक राज्य मंत्रिमंडल में शामिल है। इसमें सुपौल के विजेंद्र प्रसाद यादव सीएम,डिप्टी सीएम के बाद सबसे वरीय है। सुपौल लोकसभा चुनाव का सारा दारोमदार इन्ही पर है। इस सीट से इनके अलावे सिंहेश्वर विधायक सह मंत्री डॉ. रमेश ऋषिदेव की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। इसके अलावा सुपौल लोकसभा के जदयू के दो और विधायक एवं भाजपा के एक विधायक पर भी अपने क्षेत्र में बढ़त बनाने की चुनौती का दबाब है। जदयू एवं भाजपा के विधायक जहां एनडीए के प्रत्याशी को जिताने में लगे हैं वहीं राजद की कहानी अलग ही है। राजद के इस संसदीय क्षेत्र के एकमात्र विधायक सह जिलाध्यक्ष यदुवंश यादव महागठबंधन प्रत्याशी का न सिर्फ खुलकर विरोध कर रहे है बल्कि एक निर्दलीय प्रत्याशी सह राजद नेता दिनेश यादव के पक्ष में प्रचार भी कर रहे हैं। यही नहीं मधेपुरा के राजद विधायक भी निर्दलीय प्रत्याशी के साथ खुलकर है।
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