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नेताओं से मिलता रहा आश्वासन, नहीं हो सका पुल का निर्माण

मधेपूरा। प्रखंड क्षेत्र में कुसहा त्रासदी के समय वर्ष 2008 में ध्वस्त हुए पुल-पुलियों का अभी तक पुन

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 11:52 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 11:52 PM (IST)
नेताओं से मिलता रहा आश्वासन, नहीं हो सका पुल का निर्माण

मधेपूरा। प्रखंड क्षेत्र में कुसहा त्रासदी के समय वर्ष 2008 में ध्वस्त हुए पुल-पुलियों का अभी तक पुनर्निर्माण नहीं हो सका है। पुल के ध्वस्त होने के बाद नेताओं द्वारा आश्वासन पर आश्वासन दिया जाता रहा है, लेकिन पुल पुलियों का निर्माण नहीं हो सका है। कुसहा त्रासदी में ध्वस्त हुए पुल पुलियों की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई। ऐसे में इस यहां के लोगों वोट मांगने के लिए आने वाले नेताजी लोगों से सवाल जवाब करने के मूड में है।

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वोट मांगने वालों से सवाल-जवाब के मूड में हैं मतदाता इस बार के विस चुनाव में प्रत्याशियों के सामने में मतदाताओं के सवाल का जवाब देना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस वजह भी स्पष्ट है। क्षेत्र में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। जानकारी के अनुसार टेंगराहा मंदिर से शंकरपुर प्रखंड के मधैली होते हुए लालपुर घाट से सिंहेश्वर स्थान को जोड़ने वाली सड़क के बघला धार में ध्वस्त हुए पुल का निर्माण अभी तक नहीं हो सका। वहीं लक्ष्मीपुर भगवती पंचायत को परमानंदपुर पंचायत से जोड़ने वाली सड़क के चैनपुर चांप में ध्वस्त पुल की स्थिति जस की तस बनी हुई है। पुरैनी पंचायत के मध्य से गुजरने वाली गोरधुआ धार में सरहद के समीप टूटे पुल के आलावा सुखासन-रानीपट्टी पथ में कमलपुर एवं रानीपट्टी-बेलारी पथ में टूटे पुलिया का निर्माण वर्षों बाद नहीं होने से मतदाता इस विधानसभा चुनाव में नेताओं को घेरने के मूड में दिख रहे हैं।

12 वर्ष बाद भी नहीं हो सका निर्माण टेंगराहा गांव से गुजरने वाली बघला धार में स्थित उक्त पुल करीब 12 वर्ष से ध्वस्त है। यह पुल वर्षों से खेबनहार को तलाश रहा है। इस पुल के बनने से कुमारखंड और शंकरपुर प्रखंड के अलावे सिंहेश्वर प्रखंड के लाखों लोग काफी सहूलियत होगी। स्थानीय लोगों ने मंत्री विधायक और सांसद के समक्ष ध्वस्त हो चुके पुल के निर्माण की मांग कई बार की। लेकिन इसके पुनर्निर्माण की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि प्रखंड के कुमारखंड , रौता, टेंगराहा सिकियाहा,टेंगराहा परिहारी, शंकरपुर प्रखंड के बसंतपुर ,परसा, मधैली, शंकरपुर, लाही, गिद्धा समेत दर्जनों गांव के लोगों को इस सड़क से आवागमन को बंद करना पड़ा तथा अन्यत्र रास्ते से दूरी तय कर सफर करना पड़ता है।

पुल नहीं बनने से ग्रामीणों में आक्रोश काको गांव के शंभू सरदार, रामकिशुन सरदार, अमित कुमार, रामप्रवेश सरदार,संतोष कुमार आदि ने बताया कि वर्ष 2008 में आयी बाढ़ में पुल ध्वस्त हो गया। इससे पहले इस सड़क से आवागमन करते थे। ग्रामीणों ने स्थानीय मंत्री और सांसद को कई बार इस ध्वस्त पुल के बारे में अवगत कराया गया, लेकिन इस पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। पंचायत की मुखिया रीता देवी ने कहा कि कई बार स्थानीय विधायक सह मंत्री और सांसद से मिलकर लोगों के समस्या से अवगत कराया गया लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं किया गया।


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