बकरीद पर्व पर गहराया कोरोना का संकट
मधेपुरा। इस बार होली के त्यौहार के समय से कोरोना भाड़ी पड़ रहा है। यही वजह है कि सभ
मधेपुरा। इस बार होली के त्यौहार के समय से कोरोना भाड़ी पड़ रहा है। यही वजह है कि सभी संप्रदाय के लिए त्योहारों को बेहद ही संजीदगी के साथ मना रहे हैं। पर्व सादगी से मनाने की वजह से खुशियां कम पड़ गई है। लोगों की खुशियां कोरोना ने छीन लिया है। वजह कि इस वर्ष सभी त्योहारों में लोगों की बीच दूरियां दिखी। आमतौर पर हाथ और गले मिलकर सद्भाव कायम करने की परंपरा समाप्त हो गया। इस बार मुस्लिम समुदाय के लोगों का ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व एक अगस्त को मनाया जाएगा। पर्व को लेकर पिछली साल की तरह उत्साह नहीं दिख रहा है। पिछले साल 15 दिन या एक महीने पहले से उत्साह रहा करता था। यह उत्साह खरीदारी को लेकर हुआ करता था। खासकर बकरे की खरीदारी को लेकर बाजार में हलचल देखने को मिलता था। इस बार बकरे के बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं इस साल बकरे का बाजार सुस्त नजर आ रहा है। अनुमंडल के मधेली और बिहारीगंज मवेशी हाट में हर साल पसंदीदा बकरी की खरीदारी को लेकर लोगों का जमावड़ा दिखाई पड़ता था। इस साल भी इन बाजारों में बकरे आ रहे हैं। लेकिन खरीददार नजर नहीं आ रहा है। वजह साफ है कि कोरोना वायरस का संकट इस बार बकरीद पर चौतरफा परेशानियां लेकर आया है। संक्रमण के खौफ के कारण कुर्बानी को लेकर लोग पसोपेश की स्थिति में है। इस बार एक अगस्त को बकरीद का त्यौहार मनाएं जाने की संभावना है। बताया जाता है कि ईद-उल-फितर के करीब 70 दिन बाद बकरीद मनाया जाता है। मुसलमान यह त्योहार कुर्बानी के पर्व के तौर पर मनाते हैं। इस्लाम में इस त्योहार का विशेष महत्व है। इस दिन लोग नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी देते हैं। यह त्योहार लोगों को सच्चाई की राह पर सबकुछ कुर्बान करने का संदेश देता है।
पर्व में लॉकडान का पालन जरूरी एसडीएम एसजेड हसन ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण को राज्य में लॉकडाउन जारी है। फिलहाल 31 जुलाई तक लॉकडान है। लॉकडान की अवधि बढ़ने की स्थिति में इसका पालन जरूरी है। सरकार के निर्देश के मुताबिक काम किया जाना है। लॉकडान की स्थिति में लोग घरों में रहकर ही त्योहार मनाएंगे। वैसे हर साल की तरह त्योहार को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था की गई है।