प्रकृति व मानव के लिए फसल अवशेष जलाना खतरनाक
मधेपुरा। धान की फसल कटाई के बाद खेत में लगे पुआल का अवशेष को किसान खेतों में जला देते ह
मधेपुरा। धान की फसल कटाई के बाद खेत में लगे पुआल का अवशेष को किसान खेतों में जला देते हैं। जबकि सरकारी स्तर पर खेत में लगे फसल के अवशेषों को जलाना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद किसानों जानकारी के अभाव में अपनी फसल के अवशेष को खेतों में जलाकर वातावरण को प्रदूषित करते हैं। जबकि खेतों में अवशेष जलाने से खेत में कई उपयोगी कीट नष्ट हो जाता है। इससे प्रति एकड़ 100 किलोग्राम कार्बन जल जाते हैं। वहीं नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है। इस वजह से खेत बंजर होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन जानकारी के अभाव में किसान फसल का अवशेष खेतों में जला देते हैं। यह परंपरा पूर्व से ही चली आ रही हैं। यदि किसान को जानकारी मिलें तो फसल के अवशेष को सड़ाकर खाद तैयार किया जा सकता है। जो खाद जैविक खाद की तरह कार्य करेंगे। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति के साथ फसलों की उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
खेतों में आग लगाने से केंचुआ जलकर होता है समाप्त केंचुआ को किसान का मित्र माना जाता है। जो आग में जलकर समाप्त हो जाते हैं। इस वजह से खेतों में शत्रु कीटों की संख्या बढ़ती जाती है। वायु में सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड व अन्य कण मिलकर बीमारियां भी फैलाते हैं। जबकि भूमि के छह इंच में पोषक तत्व होता है। जो फसल को बेहतर बनाने में सहायक होता है। वह पोषक तत्व आग जलाने के बाद नष्ट हो जाते हैं। इस कारण पैदावार काफी कम होती है। फसलों के अवशेष से तैयार कर सकते हैं जैविक खाद
किसान फसलों के अवशेषों को खेतों में सड़ाकर खाद तैयार कर सकते हैं। इसके लिए खेतों में एक गड्ढ़ा बनाकर फसल का अवशेष डालकर पानी देकर उसे सड़ाकर खेतों में खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं। जो जैविक खाद के रूप में कार्य करता है इससे फसल का उत्पादन के लिए काफी लाभदायक भी साबित होता है। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने की जरूरत है। कोट खेतों के जमीन में मित्र और शत्रु दोनों प्रकार के कीट पाए जाते हैं। जो आग में जलने के बाद नष्ट हो जाता है। खेतों में फसलों का अवशेष गन्ने का पत्तियां जलाने पर कठोर कानून है। किसानों को कृषि महोत्सव में खेतों में अवशेष जलाने पर होने वालें नुकसान के बारे में जानकारी दी जाती है। सरकार द्वारा बनाए गए कठोर कानून के बारे में भी किसानों को जानकारी दी जाती है। -उमेश प्रसाद, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, बिहारीगंज (मधेपुरा)