बीत गए 11 साल, नहीं भर पाया जख्म
मधेपुरा। साल दर साल जख्मी बढ़ता गया। लेकिन दवा की जरूरत नहीं समझी गई। मुरझाए चेहरे आज ब
मधेपुरा। साल दर साल जख्मी बढ़ता गया। लेकिन दवा की जरूरत नहीं समझी गई। मुरझाए चेहरे आज बहुत कुछ बयां कर जाती है। क्षेत्र के टेमा भेला पंचायत के परोकिया नदी का टूटा पुल नेताजी के कामों की गवाही दे रहा है। बरसात के दिनों में आज भी लोग नाव के सहारे प्रखंड मुख्यालय पहुंचते हैं। यह एक दो नहीं बल्कि आधा दर्जन गांवों के लोगों की परेशानी है। नेताजी समस्या से अनजान भी नहीं है। कई बाद आश्वासन भी दिए। लेकिन स्थिति जस की तस रही। हालांकि लोकसभा चुनाव आने के बाद मुद्दा भी गर्म हो गया है। नेताजी क्षेत्र पहुंच रहे हैं। स्थिति देख फिर से आश्वासन। लेकिन इस बार जनता सजग है। उन्हें पिछला वादा याद दिला रहे हैं। लोगों का कहना है कि वर्ष 2008 के अगस्त में आई बाढ़ ने इस क्षेत्र में तबाही मचाई थी। लोगों के उपजाऊ जमीन में बालू भर गया था। पहले से बनी सड़क चलने लायक नहीं रह गई थी। पूरे इलाके में क्षति पहुंची थी। 11 साल बीत गया है लेकिन जख्मी अब भी भरा नहीं है। दवाई के अभाव में जख्मी अब भी दर्द दे रहा है। एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ने वाली सड़क के बीच एक पुल था। जो की बाढ़ में टूट गया। जो अभी तक नहीं बन पाया है। परोकिया के ग्रामीण जयकिशोर यादव ने बताया कि गांव के दोनों तरफ पक्की सड़क बन गया है। लेकिन इस नदी में अभी तक पुल नहीं बन पाया है। खासकर लोगों को जून जुलाई माह में लोगों को काफी परेशानी होती है। लोग नाव के सहारे ही नदी पार करते हैं। जबकि इस पुल के बन जाने से लोगों आवागमन की सुविधा होगी। परोकिया निवासी संजय कुमार सिंह ने बताया कि पुल बन अरार घाट से सीधे मुरलीगंज बिहारीगंज सहित अन्य गांव का सीधा संपर्क स्थापित हो जाएगा। पुल बन जाने के बाद कंटाही,बीरगांव, चतरा, कल्याण पट्टी,सुखासन,अरार, बभनगामा महेश, बभनगामा बाजार के लोगों को आने जाने में काफी सुविधा होगी। लोगों का कहना है कि बरसात में तो प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है। किसी प्रकार लाव के सहारे लोग गांव से निकलते हैं।