सड़कों पर मौत का सफर छीन रही खुशियां, नियमों की अनदेखी
लखीसराय । ठंड के साथ ही कोहरे की आहट शुरू हो चुकी है। कोहरे के चलते व्यापक पैमान
लखीसराय । ठंड के साथ ही कोहरे की आहट शुरू हो चुकी है। कोहरे के चलते व्यापक पैमाने पर होने वाले जानमाल के नुकसान के बावजूद हम सड़क हादसे से सबक नहीं लेते हैं। सुरक्षित यातायात के लिए कानून तो बना दिया गया है, लेकिन उसे सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा है। सबसे अधिक कसूर वाहन चालकों का होता है। अंतत: सड़क या यातायात के किसी क्षेत्र में हुए हादसे से बड़ी क्षति हम सबकी ही होती है। फिर भी यातायात नियमों के अनुपालन में गंभीरता नहीं दिखाते हैं। आए दिन हो रही दुर्घटनाओं के बावजूद जिला प्रशासन व ट्रैफिक पुलिस की टीम अलर्ट नहीं दिख रही है। ठंड का मौसम शुरू हो चुका है। रात में कोहरे का असर है। ऐसे में दुर्घटना की संभावना और बढ़ गई है। कोहरे के बहाने हर मौसम में सुरक्षित यातायात हम सबके लिए गंभीर मुद्दा है। हालांकि शराबबंदी के बाद सड़क हादसे में कमी आई है, लेकिन वाहन परिचालन में लापरवाही लोगों की खुशियां छीन रही है। दैनिक जागरण द्वारा सुरक्षित यातायात को लेकर देशव्यापी जागरूकता अभियान कई वर्षों से चलाया जा रहा है। तो आइए इस मुहिम में सजग और जागरूक होकर सुरक्षित यातायात का संकल्प लें। बाइक से होती अधिकांश दुर्घटनाएं
दुर्घटना के कई कारण हैं अच्छी और चौड़ी सड़क के कारण गाड़ियां तेज गति से चलती है। वाहन परिचालन के दौरान चालकों द्वारा अपने लेन में नहीं चलने की आदत महंगी पड़ रही है। जिले में अधिकांश दुर्घटनाएं बाइक सवारों के साथ हो रही है। अब तक घटी घटनाओं पर नजर डालें तो ज्यादातर सड़क हादसे तेज रफ्तार और ओवरटेक के कारण हुई है। सड़क दुर्घटना के सबसे अधिक शिकार 18 से 25 वर्ष के युवक होते हैं। जिला मुख्यालय के अलावा जिला अंतर्गत एनएच 80 एवं राजकीय पथ पर वाहनों के लगातार बढ़ते बोझ और परिवहन नियमों का पालन नहीं करना भी हादसे का बड़ा कारण है। केस स्टडी
अनदेखी के कारण हुए दुर्घटना के शिकार
जिले के बड़हिया प्रखंड अंतर्गत खुटहाडीह निवासी सुरेंद्र कुमार का कहना है कि थोड़ी सी अनदेखी के कारण नवंबर 2018 में दुर्घटना हो गई थी। घटना में उनका बायां हाथ टूट गया। ऑपरेशन और इलाज कराने में एक लाख रुपये खर्च हुआ। दो महीने तक घर पर ही रहना पड़ा। घटना के दो वर्ष बीत गए अभी भी टूटे हुए हाथ में लोहे का रॉड लगा हुआ है। बाइक चलाने में भी परेशानी होती है। तथा अब भारी सामान उठाने पर दर्द होता है। दुबारा ऑपरेशन में होने वाले खर्च का जुगाड़ नहीं हो पाने के कारण हाथ में लगा स्टील रॉड नहीं निकलवाया है। सुरेंद्र का कहना है कि उसके साथ हुई सड़क दुर्घटना ने आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानी बढ़ा दी है। तीन वर्षों का सड़क दुर्घटना का आंकड़ा
वर्ष 2017
सड़क दुर्घटना - 168
जख्मी की संख्या - 86
हादसे में मरने वाले - 82 वर्ष 2018
सड़क दुर्घटना - 127
जख्मी की संख्या - 83
हादसे में मरने वाले - 93 वर्ष 2019
सड़क दुर्घटना - 126
जख्मी की संख्या - 222
हादसे में मरने वाले - 97 जिले में तीन वर्षों में 113 लोगों की हुई हत्या
वर्ष 2017 - 35 लोगों की हत्या
वर्ष 2018 - 35 लोगों की हत्या
वर्ष 2019 - 43 लोगों की हत्या