संस्कृत के उत्थान में लगे हैं रामरूप दास, जला रहे शिक्षा की दीप
संवाद सहयोगी लखीसराय नवीन कुमार नाम के एक युवक को पढ़ने-लिखने की बहुत ललक थी लेकिन अ
संवाद सहयोगी, लखीसराय : नवीन कुमार नाम के एक युवक को पढ़ने-लिखने की बहुत ललक थी लेकिन आर्थिक समस्याओं के कारण यह आसान नहीं था। गरीबी के कारण पढ़ने की ललक पूरी नहीं हो रही थी। फिर वे बड़हिया स्थित रामलखन ठाकुरबाड़ी चले गए और वहीं गुरुकुल शिक्षा हासिल करने लगे। ठाकुरबाड़ी के महंत रामचरित्र दास ने गुरुकुल परंपरा के तहत नवीन कुमार को रामरूप दास बना दिया। संस्कृत के प्रति लगाव ऐसी कि इसी भाषा के विद्वान बन गए। अपने बचपन को देखकर और अनुभव करके आज रामरूप दास अन्य बच्चों के साथ भी वहीं व्यवहार करते हैं जो उनके गुरु रामचरित्र दास महंत करते थे। शिक्षा दान को जीवन का ध्येय बनाया। बड़हिया प्रखंड के गढ़ टोला के रहने वाले डाक्टर रामरूप दास उर्फ नवीन कुमार संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। संस्कृत के संरक्षण के साथ-साथ क्षेत्र में प्रतिभाओं को तराशने का काम प्रतिभा चयन एकता मंच के बैनर तले विगत 15 वर्षों से कर रहे हैं। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त श्री लक्ष्मणजी संस्कृत महाविद्यालय बड़हिया में साहित्य विभाग के प्राध्यापक रामरूप दास संस्कृत साहित्य से पीएचडी हैं। संस्कृत के प्रचार-प्रसार करने के लिए पूरे लखीसराय जिले एवं आसपास के क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। फलस्वरूप सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं संस्कृत विषय से स्नातक व एमए करके विभिन्न विद्यालयों व महाविद्यालयों में शिक्षक के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। डा. रामरूप दास विगत 20 वर्षों से बड़हिया प्रखंड में शिक्षा की ज्योति जला रहे हैं। उच्च विद्यालय बड़हिया में लगभग आठ वर्षों तक छात्रों को मुफ्त शिक्षण कार्य करने का काम किया। इस कारण शिक्षक नहीं रहने के बावजूद इस विद्यालय के छात्रों की संस्कृत की पढ़ाई प्रभावित नहीं हुई। 2010 से रामरूप दास प्रतिभा चयन एकता मंच के अध्यक्ष रहकर संपूर्ण जिले में खासकर मैट्रिक के छात्रों के लिए माडल परीक्षा के आयोजन का संचालन व मार्गदर्शन कर रहे हैं। इससे छात्रों को सकारात्मक लाभ मिल रहा है। इस संबंध में रामरूप दास कहते हैं कि संस्कृत एक सरल व सहज भाषा है। वर्तमान समय में यह रोजगारपरक भाषा भी है। इसमें सहजता से उच्च अंक प्राप्त किए जा सकते हैं। खासकर मैट्रिक के छात्रों के लिए संस्कृत विषय में अधिक अंक लाने के लिए कुशल तकनीक की जानकारी बच्चों को देते हैं। संस्कृत भाषा के संरक्षण व विकास के लिए इनके माध्यम से व्याकरण की पुस्तक का वितरण भी समय-समय पर किया जाता है। रामरूप दास के कार्यों से संस्कृत भाषा के नए सूर्योदय की किरण फूट रही है।