पांच माह में 28 नवजात की मौत, 44 रेफर
लखीसराय। शून्य से 28 दिन तक के गंभीर रूप से बीमार नवजात के समुचित उपचार के लिए लाखों रुपये
लखीसराय। शून्य से 28 दिन तक के गंभीर रूप से बीमार नवजात के समुचित उपचार के लिए लाखों रुपये की लागत से सदर अस्पताल परिसर में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) यानि नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई बनाई गई है। परंतु संसाधनों एवं दवा के अभाव में गंभीर रूप से बीमार नवजात को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि पांच माह में यहां भर्ती होने वाले 186 नवजात में से 28 नवजात की मौत हो गई है। जबकि 44 नवजात को रेफर किया गया है। एसएनसीयू में जेनरेटर की व्यवस्था है परंतु उसे चलाने के लिए ऑपरेटर नहीं है। बिजली गुल होने पर ड्यूटी पर मौजूद नर्स की समस्या बढ़ जाती है। फिर खुशामद करने पर सदर अस्पताल के ही कोई कर्मी जेनरेटर चालू करते हैं। जेनरेटर चालू नहीं होने पर रेडिएंट वार्मर, फोटो थेरेपी आदि उपकरण कार्य करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में गंभीर रूप से बीमार नवजात की जान भी जा सकती है। एसएनसीयू में नवजात के लिए जरूरी टेक्सीम इंजेक्शन (एंटी बायोटिक), कैल्सियम आदि दवा तक नहीं है। जाहिर है ऐसी स्थिति में गंभीर रूप से बीमार नवजात का उपचार संभव नहीं है।
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एसएनसीयू में माहवार भर्ती, मृत व रेफर नवजात की संख्या
जनवरी 2019
भर्ती नवजात की संख्या - 44
मृत नवजात की संख्या - 06
रेफर नवजात की संख्या - 06
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फरवरी 2019
भर्ती नवजात की संख्या - 23
मृत नवजात की संख्या - 03
रेफर नवजात की संख्या - 09
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मार्च 2019
भर्ती नवजात की संख्या - 56
मृत नवजात की संख्या - 07
रेफर नवजात की संख्या - 12
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अप्रैल 2019
भर्ती नवजात की संख्या - 43
मृत नवजात की संख्या - 08
रेफर नवजात की संख्या - 09
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मई 2018
भर्ती नवजात की संख्या - 20
मृत नवजात की संख्या - 04
रेफर नवजात की संख्या - 08
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एसएनसीयू में चिकित्सकों की स्थिति
नवजात के उपचार के लिए एसएनसीयू में चौबीस घंटे चिकित्सक का मौजूद रहना जरूरी है। इसके लिए चार शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक चाहिए। इसकी जगह कहने को तो तीन चिकित्सक पदस्थापित हैं परंतु इसमें से डॉ. आनंद गौरव एवं डॉ. बबीता प्रीति योगदान करने के बाद से ही अवकाश पर हैं। जबकि डॉ. राकेश कुमार सदर अस्पताल में कार्य करते हैं। एसएनसीयू में गंभीर रूप से बीमार नवजात के उपचार के लिए सदर अस्पताल से उन्हें अथवा अन्य चिकित्सक को बुलाना पड़ता है।
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एसएनसीयू में उपकरण की स्थिति
नवजात को गर्म रखने के लिए 14 रेडिएंट वार्मर है। इनमें से चार खराब है।
पीलिया रोग से ग्रसित नवजात के लिए दो फोटो थेरेपी है।
नवजात को आक्सीजन देने के लिए तीन आक्सीजन कंसेंटेटर है जिसमें से एक खराब है।
नवजात की श्वास नली साफ करने के लिए तीन सेक्शन मशीन है जिसमें से एक खराब है।
पल्स आक्सीमीटर छह है जिसमें से तीन खराब है। हार्ट रेट बढ़ाने के लिए छह अंबु बैग है जिसमें दो खराब है।
नवजात को स्लाइन चढ़ाने के लिए पीडिया ट्रीट सेट, इमरजेंसी की दवा रखने के लिए क्रेस कार्ट आदि नहीं है।
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चिकित्सक का अभाव एवं जरूरी दवा व उपकरण के खराब रहने के कारण गंभीर रूप से बीमार नवजात का उपचार करने में काफी परेशानी होती है। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक के माध्यम से सिविल सर्जन से चिकित्सक, जरूरी दवा की व्यवस्था करने एवं खराब पड़े उपकरण को ठीक कराने की कई बार मांग की जा चुकी है। फिर भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
- डॉ. राकेश कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ, एसएनसीयू
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