मौसम बदलने के साथ बढ़ा वायरल बीमारी का प्रकोप
लखीसराय। बदलते मौसम में वायरल बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है। गर्मी की वजह से खसरा ने पैर पस
लखीसराय। बदलते मौसम में वायरल बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है। गर्मी की वजह से खसरा ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। प्रखंड के कई इलाके में इससे बच्चे-बड़े बीमार हो रहे हैं। इसकी रोकथाम की दिशा में विभागीय स्तर से उदासीनता बरती जा रही है। गत आठ मई को पीरी बाजार के बेलदारी में आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की स्वास्थ्य जांच के दौरान दो बच्चों में खसरा पाया गया। जबकि 11 मई को टोरलपुर पंचायत के निस्ता गांव में इंदल राम की पत्नी रीता देवी में भी खसरा की बीमारी पाई गई। इसका उपचार किया गया। बताया जा रहा है कि यह एक छूत की बीमारी है। खास तौर से यह बीमारी एक से 10 वर्ष के बच्चों को अपना शिकार बनाती है। इसे लेकर डॉ. सुदामा ने बताया कि खसरा की बीमारी के लिए यह मौसम अनुकूल है। यह एक वायरल बीमारी है। इससे अन्य लोगों के भी संक्रमित होने का आशंका रहती है। इसके बचाव के लिए साफ-सफाई अनिवार्य है। बताया जाता है कि अत्यधिक गर्मी में आंत में फोला हो जाता है जो बाद में शरीर पर दाना के रूप में उभर आता है। इस बीमारी के दौरान दाग-धब्बे होने लगते हैं। तेज बुखार, सिर दर्द और ड्राई कफ की समस्या रहती है। अगर नियंत्रण न हो तो इसका असर दिमाग व लिवर तक पहुंच जाता है जिससे दूसरी बीमारी हो सकती है। इसके लिए मरीजों को एंटी वायरल दवा (ए-साइक्लोविर) दी जाती है, जो बच्चों और बड़ों को वजन के हिसाब से दी जाती है। लक्षण दिखने के बाद बुखार से पीड़ित बच्चे को पैरासिटामोल दे सकते हैं, मगर एस्प्रीन बिल्कुल न दें। यह बच्चे की सेहत के लिए घातक है। इसका संक्रमण काल 7-10 दिन तक रहता है। इस बीमारी को गांव में लोग छोटी माता के भी नाम से जानते हैं।
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झाड़ फूंक नहीं है उपचार
अशिक्षित व गांव-देहात के लोगों में यह भ्रांति है कि दवा से माता क्रोधित हो जाती है और इसी वजह से वह झाड़-फूंक पर भरोसा करते हैं। हकीकत यह है कि संक्रमण काल पूरा होने के बाद ही खसरा ठीक होता है। इसे लेकर डॉ. रामतुल्ला ने बताया कि खसरा का उपचार झाड़-फूंक नहीं है। इसका समुचित चिकित्सीय उपचार करवाना चाहिए।
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