कोरोना के खौफ से प्रभावित हुआ पोल्ट्री व्यवसाय
लखीसराय । कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन से लखीसराय जिले में पोल्ट्री व्यवसाय पर बुरा असर
लखीसराय । कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन से लखीसराय जिले में पोल्ट्री व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है। इस कारण अंडे की बिक्री में जबरदस्त गिरावट आ गई है। वहीं अंडे की थोक और खुदरा कीमत में भी भारी अंतर आया है। पोल्ट्री फार्म मालिक को एक अंडे की लागत करीब साढ़े तीन रुपये पड़ रही है। कोराना वायरस का असर मुर्गी दाने पर भी पड़ा है। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है। जिले में बड़हिया, लखीसराय सहित अन्य क्षेत्रों में आधा दर्जन पोल्ट्री फार्म संचालित है। यहां लॉक डाउन से पहले करीब 50 हजार से अधिक अंडे का उत्पादन हर रोज किया जाता था। लेकिन अप्रैल माह में कोरोना महामारी के कहर ने इसे चौपट कर दिया। चिकेन और अंडा खाने से संक्रमण फैलने की अफवाह ने भी अंडा कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया। लखीसराय जिले में भी एक अनुमान के अनुसार अबतक 50 लाख से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है। होटल, रेस्टोरेंट और सड़क किनारे ठेला आदि पर अंडा की बिक्री बंद होने से व्यवसाय प्रभावित हुआ है। कोरोना के लॉक डाउन ने धंधा किया मंदा
लॉक डाउन के कारण सवारी वाहनों की आवाजाही बंद रहने से पोल्ट्री व्यवसाय पर पूरी तरह मंदी छा गया। लॉक डाउन में मिली छूट के बाद मंदी से जूझ रहा पोल्ट्री व्यवसाय को थोड़ी राहत मिली। लखीसराय प्रखंड अन्तर्गत गढ़ीविशनपुर गांव में पोल्ट्री फार्म चला रहे कुमार एग्रो के शंकर कुमार बताते हैं कि पोल्ट्री उत्पाद का इस्तेमाल पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन अफवाहों की वजह से इस व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। कोरोना एवं लॉक डाउन के कारण बिक्री में 60 प्रतिशत की कमी आई है। इसका खामियाजा लागत कीमत से भी कम में अंडा बिक्री करना पड़ रहा है। पोल्ट्री व्यवसाय पर असर पड़ने से मुर्गी दाने की खपत भी कम हो गई है। इससे किसानों को नुकसान पहुंच रहा है। मक्का, बाजरा, सोयाबीन, सरसों आदि का 70 से 95 फीसदी इस्तेमाल मुर्गी दाना में किया जाता है। पोल्ट्री फार्म में एक अंडे की कीमत साढ़े तीन रुपये
पोल्ट्री फार्म में एक अंडा के उत्पादन में करीब साढ़े तीन रुपये खर्च आता है। ग्राहक को 5 से 6 रुपये पीस मिलता है। कुमार एग्रो पोल्ट्री फार्म के संचालक शंकर कुमार बताते हैं कि लॉक डाउन से पहले हमारे यहां प्रतिदिन 13,500 अंडा का उत्पादन होता था। इसकी थोक कीमत 800 से 850 रुपये पेटी ( 210 पीस ) थी। लखीसराय के अलावे यहां से अंडा जमुई और शेखपुरा भी जाता है। लेकिन लॉक डाउन के बाद बिक्री अचानक 60 प्रतिशत से भी अधिक नीचे आई गई। अभी 600 से 650 रुपये पेटी अंडा बेच रहे हैं। लोकल स्तर पर अब भी अंडा की डिमांड नही बढ़ी है। बाजार में लॉक डाउन से पहले ग्राहकों को छह रुपये पीस अंडा मिलता था अभी पांच रुपये में मिल रहा है। शंकर बताते हैं कि एक अंडा निकालने में जो खर्च आती है उसी में मजदूरी, पैकिग, दाना, मुर्गी का दवा, रखरखाव, मजदूरी भी शामिल है।