ट्रेन में सफर करें संभलकर, कब लूट जाएं, हत्या हो जाए कोई देखने वाला नहीं
-गया-किऊल-जमालपुर तक डर के साए में होती है यात्रा -रेल पुलिस के समक्ष फोर्स की कमी का ट
-गया-किऊल-जमालपुर तक डर के साए में होती है यात्रा -रेल पुलिस के समक्ष फोर्स की कमी का टोटा
-दो सालों में हत्या, लूट, छिनतई जैसी घटनाओं में हुआ इजाफा
केएम राज, संवाद सहयोगी, जमालपुर (मुंगेर) : रेल जिला जमालपुर के गया-किऊल-जमालपुर रेलखंड पर रेल यात्रा सुरक्षित नहीं रह गई है। आए दिन आपराधी रेल खंड पर यात्रियों को अपना निशाना बनाते हैं। अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने में रेल पुलिस विफल साबित हो रही है। यहां रेल यात्रा पैसेंजर के लिए सुरक्षित नहीं है। आए दिन इस मार्ग पर यात्रियों के साथ रात के समय छीना-झपटी, लूट, हत्याएं और डकैती घटनाएं हो रही हैं। विगत दो से चार वर्षों में 15 से अधिक लूट, छिनतई, डकैती और हत्या हो चुकी हैं। यात्री नवादा से किऊल और किऊल से जमालपुर के बीच दहशत में रहते हैं। अगर ट्रेन में सुरक्षा बल रहते भी हैं तो यात्रियों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। सबसे ज्यादा असुरक्षित यात्री इस मार्ग पर हैं। यात्रियों को जान भी गंवानी पड़ी है। हर बार सुरक्षा बढ़ाए जाने की बात कहने वाली रेलवे पुलिस वारदात के कुछ दिन बाद ही सुरक्षा व्यवस्था में ढिलाई बरतने लगती है। इसी कारण से ट्रेनों में एस्कॉट चलने के बाद भी आपराधिक घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। तीन साल में अब तक जमालपुर-सुल्तानगंज के बीच तीन हत्याएं हो चुकी हैं। हर बार रेल पुलिस के अधिकारी सहित रेलवे पुलिस कड़ी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दम भरते हैं, लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद सुरक्षा अपने ढर्रे पर आ जाती है।
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पुलिस को नक्सलियों का रहता है डर
इस रेलखंड में ट्रेनों में एस्कॉट पार्टी में शामिल जवान भी नक्सली के खौफ के कारण सशंकित रहते हैं। दस साल पहले नक्सलियों ने एस्कॉट पार्टी पर हमला कर हथियार लूट लिए थे। इसमें जवान की मौत हो गई थी। वर्ष 2005 में कजरा रेलवे स्टेशन पर पुलिस बैरक में हमला कर हथियारों की लूटपाट कर ली थी। लगातार हुई घटनाओं के बाद बीच में आमर्स के बदले एस्कॉट पार्टी को लाठी मुहैया कराई गई थी।
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रेल पुलिस का भय हुआ कम
एक समय था जब रेल पुलिस का भय बदमाशों में हुआ करता था। लेकिन, अब अपराधियों में रेल पुलिस का खौफ नहीं रह गया है।
यही वजह है कि अपराधियों ने दोनों रेल खंड को अपने लिए सेफ जोन समझ लिया है। पहले नक्सली इस रेलखंड पर तांडव मचाते थे। वहीं, हाल के कुछ दिनों में अपराधियों द्वारा लगातार घटना का अंजाम देकर रेल प्रशासन को खुली चुनौती दे रखी है। कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनों में सुरक्षा कर्मी रहते भी हैं, तो वे भी यात्रियों की सुरक्षा कम अपनी सुरक्षा के प्रति अधिक अलर्ट रहते हैं।
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जब पुलिस बल की है कमी, तो कैसे सुरक्षित होगी यात्रा
रेल जिला जमालपुर 300 से ज्यादा किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। भागलपुर, जमालपुर, किऊल, जमुई, झाझा, बड़हिया, शेखपुरा, नवादा रेल थाना आदि जमालपुर रेल जिला के अधीन ही आते हैं। रेल जिला में कुल 700 पदाधिकारी से लेकर जवान कार्यरत है। जमालपुर रेल थाना में वर्तमान में 90 अधिकारी जवान कार्यरत है पर 150 आवश्यकता डेढ़ सौ का है। 16 ट्रेन में स्कॉट देने की व्यवस्था है पर जवानों की कमी के कारण महत्वपूर्ण ट्रेनों में ही एस्कोर्ट की व्यवस्था कराई गई है।
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अपराध और नक्सल दोनों से प्रभावित है रेल जिला
रेल जिला में अपराधिक और नक्सली घटनाओं के लिए चर्चित स्टेशनों में बरियारपुर, अभयपुर, मसूदन, कजरा, धनोरी, उरेन, रामपुर हॉल्ट, सुल्तानगंज, अकबरनगर, जमुई, झाझा आदि शामिल हैं। जहां नक्सली के अलावा अपराधिक गिरोह भी घटना को अंजाम देते हैं। रेल खंड पर बरियारपुर का परिया गिरोह सक्रिय है, तो अभयपुर नक्सल प्रभावित इलाका है।
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घटनाओं पर एक नजर
-2018 में इंटरसिटी में पवई के पास लूट
-2016 में सुल्तानगंज में अलग-अलग दिन में तीन की हत्या
-2019 के जनवरी में साप्ताहिक एक्सप्रेस में लाखों की लूट
-2017 में बरियारपुर में यात्री की चाकू मार कर हत्या
-26 जून को रेल कर्मी की हत्या
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रेल में आपराधिक घटना पर लगेगा अंकुश : सांसद
मुंगेर के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने रेल क्षेत्र में बढ़ी आपराधिक घटनाओं पर चिता जाहिर की है। सांसद ने कहा कि हर हाल में अपराध पर अंकुश लगेगा। इसके लिए रेल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से बात हुई है। केंद्रीय स्तर पर आरपीएफ के डीजी से बात कर सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाने पर चर्चा की गई है। यात्रियों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।