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तटबंध के नाम पर ग्रामीणों को मिलता रहा आश्वासन

कोचाधामन प्रखंड में आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी नदी कटाव का स्थायी समाधान नहीं हुआ।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 08:05 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 08:05 PM (IST)
तटबंध के नाम पर ग्रामीणों को मिलता रहा आश्वासन

संवाद सूत्र, कोचाधामन (किशनगंज) : कोचाधामन प्रखंड में आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी नदी कटाव का स्थायी समाधान नहीं हुआ। हर साल सरकार एवं उनके प्रतिनिधियों से लोगों को सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। प्रखंड के घुरना चकचकी, बगलबाड़ी, डहुआ, खचपाड़ा, नेमूआ, चरैया बारहमसिया गांव महानंदा नदी के किनारे आबाद है। जबकि डोरिया चैनपुर, असूरा, मजकूरी, बलिया समेत कई अन्य गांव कनकई के किनारे बसे हैं। हालांकि, कनकई के किनारे असूरा एवं महानंदा किनारे बगलबाड़ी में तटबंध (बोरी) का किया गया है। जिससे लोगों को कुछ हद तक नदी कटान से राहत मिली है।

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इन गांवों के कई ग्रामीणों ने बताया की सरकार तो तटबंध निर्माण के नाम पर हर वर्ष एक बड़ी राशि खर्च कर रही है। लेकिन यह बोरी वाला तटबंध कुछ वर्षो में बहा जाता है। जब तक पत्थर से तटबंध का निर्माण नहीं किया जाता है, तब तक नदी कटान का स्थायी समाधान संभव नहीं है। वषरें से बाढ़ व नदी कटाव की पीड़ा को झेल रहे यहां की एक बड़ी आबादी का दर्द दवा मिलने की आशा में साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। प्रखंड के ज्वलंत समस्याओं में से एक है नदी कटाव की समस्या। दशकों से लोगों को इससे स्थायी निजात नहीं मिल पा रही है। साल दर साल इस समस्या से निजात पाने की आस लगाए बैठे लोगों के बीच नदी कटाव व विस्थापन की समस्या जस की तस धरी रह गई है। ये गांव इसके लिए आवाजें भी उठाते रहे हैं। लेकिन मुकम्मल काम नहीं हुआ। हर वर्ष नदी कटान से दर्जनों परिवार घर से बेघर हो जाते हैं। कृषि योग उपजाऊ भूमि का एक बड़ा भूखंड भी हर साल नदी के गर्भ में समाता जाता है। बीते वर्ष 2017 में आई बाढ़ व नदी कटाव से चकचकी और चनाडांगी आदिवासी टोला का वजूद ही खत्म हो गया। विस्थापित परिवार आज भी सड़क किनारे रहा रहे हैं, जो एक जीता-जागता प्रमाण है। जबकि पिछले दो सालों में नदी कटाव से बगलबाड़ी के भी एक दर्जन से अधिक परिवार घर से बेघर हो चुके हैं तथा हाट टोला बगलबाड़ी के दर्जनों परिवार महानंदा नदी के कटाव के जद पर है। घुरना चकचकी कब्रिस्तान का आधा से अधिक हिस्सा महानंदा नदी में समाहित हो चुका है। हालांकि यहां के लोगों ने कई बार तटबंध निर्माण कराने की मांग सरकार व सरकार के प्रतिनिधियों से की है। इस संबंध में विधायक हाजी इजहार असफी ने कहा कि नदी कटाव से प्रभावित स्थलों को चिह्नित किया गया है। साथ ही इस समस्या से सरकार व प्रशासन को अवगत कराया गया है। कई जगहों पर इस साल तटबंध निर्माण का कार्य भी कराया गया है।


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