Move to Jagran APP

लॉकडाउन होने से चाय बागान पर मंडराने लगा संकट के बादल

संवाद सहयोगी किशनगंज जिले के विभिन्न प्रखंड में लगे चाय बागान पहले से कई प्रकार के आर्थिक

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 09:44 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 06:13 AM (IST)
लॉकडाउन होने से चाय बागान पर मंडराने लगा संकट के बादल
लॉकडाउन होने से चाय बागान पर मंडराने लगा संकट के बादल

संवाद सहयोगी, किशनगंज : जिले के विभिन्न प्रखंड में लगे चाय बागान पहले से कई प्रकार के आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। जिस कारण चाय बागान में अब किसानों की रुचि घटने लगी है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रगतिशील किसान चाय बागान को हर संभव चलाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन होने के कारण जिले के 50 हजार एकड़ भूमि में लगे चाय बागानों की हालत बिगड़ने लगी है। हालांकि सरकार द्वारा चाय बागान में पहले की तुलना में इस समय 50 फीसद मजदूरों से काम करवाने की अनुमति दी गई है। लेकिन इसका कोई सकारात्मक पहल नही दिख रहा है। सरकार द्वारा जारी किए गए गाइड लाइन के बावजूद चाय बागान में काम करने के लिए मजदूर नही मिल रहे हैं। खेतों और बागानों में काम करने वाले श्रमिकों में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर काफी खौफ है। जिसके कारण श्रमिक खेतों और बागानों में काम करने के लिए जाने से डरते हैं। यही वजह है कि श्रमिक नही मिलने से बागान में चाय के पौधों में तैयार हो चुकी पत्ती को तोड़ना एक कठिन चुनौति बन गया है। इस कारण चाय बागान के कार्य में लगे किसान बेहत चितित हैं।

loksabha election banner

चाय बागान और टी प्रोसेसिग प्लांट के लिए मार्च का महीना अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है। चाय पत्ती उत्पादक किसानों की राय के अनुसार मार्च महीने में बागानों से निकलने वाली पत्ती बेहद अच्छी होती है। इन पत्तियों की मांग टी प्रोसेसिग प्लांट में बहुत होती है। इस वजह से किसानों को इस समय के चायपत्ती की अच्छी कीमत मिलती है। मार्च महीने में चाय के पौधों से जो उन्न्त किस्म की पत्ती होती है, उसे फस्ट फ्लस के नाम से भी जाना जाता है। इससे निकलने वाले चायपत्ती की मांग काफी अधिक होती है। चाय उत्पादक किसान जुनैद आलम ने बताया कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है। उस समय से चाय बागान की हालत चरमरा गई है। ऐसे विकट समय में चाय बागान में लगे पौधो से चाय की पत्ती नही तोड़ी जा रही है। साथ ही टी प्रोसेसिग प्लांट में ही चायपत्ती का उत्पादन बंद है। इससे जिला के चाय बागान में लगे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। चाय बागान पर पहले से ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन के बाद तो स्थिति और भी बदतर हो गई है। अब तो ऐसे हालात उत्पन्न हो गए हैं कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद चाय बागान को आर्थिक संकट से उबरने में छह महीने से भी अधिक का समय लग सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.