लॉकडाउन होने से चाय बागान पर मंडराने लगा संकट के बादल
संवाद सहयोगी किशनगंज जिले के विभिन्न प्रखंड में लगे चाय बागान पहले से कई प्रकार के आर्थिक
संवाद सहयोगी, किशनगंज : जिले के विभिन्न प्रखंड में लगे चाय बागान पहले से कई प्रकार के आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। जिस कारण चाय बागान में अब किसानों की रुचि घटने लगी है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रगतिशील किसान चाय बागान को हर संभव चलाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन होने के कारण जिले के 50 हजार एकड़ भूमि में लगे चाय बागानों की हालत बिगड़ने लगी है। हालांकि सरकार द्वारा चाय बागान में पहले की तुलना में इस समय 50 फीसद मजदूरों से काम करवाने की अनुमति दी गई है। लेकिन इसका कोई सकारात्मक पहल नही दिख रहा है। सरकार द्वारा जारी किए गए गाइड लाइन के बावजूद चाय बागान में काम करने के लिए मजदूर नही मिल रहे हैं। खेतों और बागानों में काम करने वाले श्रमिकों में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर काफी खौफ है। जिसके कारण श्रमिक खेतों और बागानों में काम करने के लिए जाने से डरते हैं। यही वजह है कि श्रमिक नही मिलने से बागान में चाय के पौधों में तैयार हो चुकी पत्ती को तोड़ना एक कठिन चुनौति बन गया है। इस कारण चाय बागान के कार्य में लगे किसान बेहत चितित हैं।
चाय बागान और टी प्रोसेसिग प्लांट के लिए मार्च का महीना अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है। चाय पत्ती उत्पादक किसानों की राय के अनुसार मार्च महीने में बागानों से निकलने वाली पत्ती बेहद अच्छी होती है। इन पत्तियों की मांग टी प्रोसेसिग प्लांट में बहुत होती है। इस वजह से किसानों को इस समय के चायपत्ती की अच्छी कीमत मिलती है। मार्च महीने में चाय के पौधों से जो उन्न्त किस्म की पत्ती होती है, उसे फस्ट फ्लस के नाम से भी जाना जाता है। इससे निकलने वाले चायपत्ती की मांग काफी अधिक होती है। चाय उत्पादक किसान जुनैद आलम ने बताया कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है। उस समय से चाय बागान की हालत चरमरा गई है। ऐसे विकट समय में चाय बागान में लगे पौधो से चाय की पत्ती नही तोड़ी जा रही है। साथ ही टी प्रोसेसिग प्लांट में ही चायपत्ती का उत्पादन बंद है। इससे जिला के चाय बागान में लगे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। चाय बागान पर पहले से ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन के बाद तो स्थिति और भी बदतर हो गई है। अब तो ऐसे हालात उत्पन्न हो गए हैं कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद चाय बागान को आर्थिक संकट से उबरने में छह महीने से भी अधिक का समय लग सकता है।