पीड़ित महिलाओं को न्याय दिला रहीं शशि शर्मा
किशनगंज : समाज में पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना लोक सेवकों की पहली प्राथमिकता होती है
किशनगंज : समाज में पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना लोक सेवकों की पहली प्राथमिकता होती है। खासकर शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ेपन का दंश झेल रहे किशनगंज जिले में अधिकतर महिलाएं शिक्षा के अभाव में घरेलू ¨हसा और सामाजिक भेदभाव की शिकार हो रही हैं। कभी-कभी महिलाओं को विभिन्न प्रकार की उत्पीड़न की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन कानूनी जानकारी के अभाव में महिलाएं अपने अधिकार के प्रति सजग नही हो पाती हैं। ऐसे में महिला हेल्प लाइन की परियोजना प्रबंधक सह जिला संरक्षण पदाधिकारी शशि शर्मा महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई हैं।
शशि शर्मा बताती हैं कि किसी भी पीड़ित महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास करती हूं। शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली किसी भी समस्या से पीड़िता जब कोई भी सूचना देती हैं तो शशि शर्मा उनकी समस्याओं के निदान के लिए अविलंब पुलिस प्रशासन के सहयोग से पीड़िता तक पहुंचने का प्रयास करती हैं। वे बताती हैं कि अधिकांश मामलों में ऑन द स्पॉट समस्याओं का समाधान भी कर दिया जाता है। कई बार तो पीड़िता की समस्या के समाधान करने के क्रम में मुझे असामाजिक प्रवृति के लोगों द्वारा धमकियां भी मिली। लेकिन अपनी परवाह किए बिना हर पल पीड़िता के हक और न्याय के लिए अनवरत कार्य करती रही हूं। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। अब महिलाएं स्वयं भी अपनी समस्या लेकर आने लगी हैं। जुलाई 2018 में रेड लाइट की सात महिलाओं जो एड्स जैसी बीमारी से पीड़ित थी। उन सभी महिलाओं को सदर अस्पताल से मिलने वाली सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई। कई मामले में तो फोन पर धमिकयां भी मिलने लगी लेकिन धमकियों से कभी भी विचलित नहीं हुई। अब तक सैकड़ों महिलाओं का काउंसि¨लग कर उन्हें संविधान में दिए गए अधिकार से अवगत कराने में सफलता मिल चुकी है। सामाजिक, पारीवारिक और घरेलू ¨हसा से ग्रस्त 311 महिलाओं के केस का निष्पादन कर उनके जीवन में खुशियां लौटा चुकी हूं।
वे बताती हैं कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के बालिका विद्यालय और मुहल्लों में शिविर लगा कर महिलाओं को जागरूक करने का काम चल रहा है। 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं को संविधान में दिए गए अधरिकार के प्रति जागरूक करने के लिए बालिका विद्यालय में जानकारी दी जाती है। जबकि 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को मोहल्ले में शिविर लगा कर जानकारी दे रही हूं। इन जानकारी में संविधान के अनुच्छेद 14 में कानूनी समानता, अनुच्छेद 23-24 में शोषण के विरूद्ध अधिकार, अनुच्छेद 29-30 में शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार, अनुच्छेद 39 घ में महिलाओं को पुरूष के समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार शामिल हैं। साथ ही प्रत्येक महिलाओं को संविधान में कई कानूनी अधिक मिले हैं। इनमें मुख्य रूप से समान वेतन का अधिकार, काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार, नाम नही छापने का अधिकार, घरेलू ¨हसा के खिलाफ अधिकार, मातृत्व संबंधी लाभ के अधिकार, कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार, मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार, रात्रि में गिरफ्तारी नहीं होने का अधिकार, गरिमा व शालीनता के लिए अधिकार और संपत्ति के अधिकार सहित कई अन्य अधिकार शामिल हैं।