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नगर परिषद के आवंटित दुकान में अवैध निर्माण के लिए जांच टीम गठित

गर परिषद के द्वारा शहरी क्षेत्र में आवंटित दुकानों में अवैध तरीके से बिना अनुमति के अवैध निर्माण कराने वाले दुकानों की जांच की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 07:18 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 07:18 PM (IST)
नगर परिषद के आवंटित दुकान में अवैध निर्माण के लिए जांच टीम गठित

नगर परिषद के आवंटित दुकान में अवैध निर्माण के लिए जांच टीम गठित

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संवाद सहयोगी, किशनगंज : नगर परिषद के द्वारा शहरी क्षेत्र में आवंटित दुकानों में अवैध तरीके से बिना अनुमति के अवैध निर्माण कराने वाले दुकानों की जांच की जाएगी। आवंटित दुकानों को दुकानदार अपनी सुविधा के अनुसार अवैध रूप से निर्माण कर व्यवसाय संचालन कर रहे हैं। इस संबंध में दैनिक जागरण में प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने के बाद नगर परिषद के अधिकारी हरकत में आए और जांच पड़ताल में जुटे। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने इसके लिए तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की है। दुकानों के स्वरूप में नगर परिषद से स्वीकृति लिए बिना कार्य कराने से संबंधित मामलों की यह टीम जांच करेगी। टीम दुकानों की जांच कर रिपोर्ट अधिकारी को सौंपेगी। इसके बाद आवश्यक कार्रवाई के साथ अवैध तरीके से निर्मित दुकानों के मूल स्वरूप में बदलाव वाले निर्माण को तोड़ने का कार्य किया जा सकता है।

बताते चलें कि नगर परिषद ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपने क्षेत्र में दुकानों का निर्माण करवाया था। इन दुकानों का आकार प्रत्येक स्थान पर उस क्षेत्र की सभी सुविधाओं को देखते हुए रखा गया था। किंतु आवंटित हुए दुकानदारों द्वारा दुकानों के आकार को अपने सुविधा के अनुसार परिवर्तन कर कई स्थानों में अवैध निर्माण करवाया गया है। कई दुकानों के स्वरूप के साथ ही दायरा बढ़ाकर पक्के निर्माण तक किया गया है और दुकान के अलावा आसपास के क्षेत्र को अतिक्रमण भी कर लिया है। जांच टीम द्वारा ऐसे अवैध निर्माण की जांच की जाएगी।

250 से अधिक दुकानों का किया गया आवंटन::

नगर परिषद द्वारा लगभग 250 से अधिक दुकानों का आवंटन किया गया है। नगर परिषद के निजी संपत्ति के तहत इनको भाड़े पर दिया गया है। रोजगार उपलब्ध कराने के लिए निर्मित दुकानों से प्राप्त आय नगर परिषद के सालाना आय का मुख्य स्त्रोत होता है। आवंटित दुकानों में 40 से लेकर एक सौ 69 स्कवायर फीट के दुकान दिए गए थे। इसके लिए नगर परिषद 216 से लेकर एक हजार आठ सौ रुपये किराया वसूलता है। जबकि उक्त स्थानों पर बाजार दर इससे काफी अधिक है। इसके बावजूद दुकानों के आकार को दुकानदारों द्वारा बदला जाता है और आसपास के क्षेत्र को अतिक्रमण कर लिया जाता है।

किराए पर लगे हुए हैं अधिकांश दुकान::

दुकान आवंटन में क्षेत्र के प्रभावशाली और पैरवी पहुंच वाले लोग अपने और अपने करीबियों के नाम पर कई दुकान आवंटन करवाए हुए हैं। इसके बाद उस दुकान को किराए पर लगाकर लगभग बाजार दर पर किराया वसूलने का खेल भी जारी है। जबकि नगर परिषद के अधिकारी की मानें तो नगर परिषद के दुकान को आवंटित लोग खुद ही संचालित करें। भाड़े पर लगाना नियम के विरुद्ध है। इसके बावजूद किराया एग्रीमेंट बनाकर अधिकांश दुकानों पर किराया पर लगाकर रखा गया है।

नगर परिषद के द्वारा आवंटित दुकानों में बिना अनुमति के निर्माण कराना अवैध है। इसकी जानकारी मिलने पर जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठितकी गई है। जो ऐसे अवैध निर्मित दुकान को चिह्नितकर रिपोर्ट तैयार करेगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

दीपक कुमार, नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी


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