70 वर्षीय वृद्ध पढ़ा रहे लोगों को लोकतंत्र का पाठ
वाद सूत्र, पहाड़कट्टा( किशनगंज) : मैं अकेला ही निकला था जानिब-ए- मंजिल। मगर लोग आते गए कारव
वाद सूत्र, पहाड़कट्टा( किशनगंज) : मैं अकेला ही निकला था जानिब-ए- मंजिल। मगर लोग आते गए कारवां बनता गया। मजरूह सुल्तानपुरी का यह शेर छत्तरगाछ निवासी नसीमुद्दीन चाचा पर सटीक बैठता है। 70 वर्षीय वृद्ध नसीमुद्दीन चाचा लाठी के सहारे घर घर जाने के अलावा चाय नाश्ते के दुकानों पर लोगों को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने में जुटे हैं। लोगों को वोट की अहमियत के बारे बताकर जागरूक कर रहे हैं। नसीमुद्दीन चाचा कहते हैं कि लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ है लोगों का शासन। यह एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक स्वयं चुनते हैं।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पार्टी के नेताओं ने गरीब, किसान, मजदूर और पिछड़े वर्ग के लोगों को हमेशा ही छलने का काम किया है। चुनाव के समय अपने लच्छेदार भाषण, विकास के नाम पर और जात-पात के नाम पर वोट तो ले लेते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद किसी ने भी गरीबों किसान और समाज के दबे-कुचले लोगों के आंसू पोंछने का काम नहीं किया है। सब ने हमारे विकास की अनदेखी की है।
आने वाले लोकसभा चुनाव में हम ऐसे नेता को अपना बहुमूल्य वोट देंगे जो लोगों के अधिकार और विकास के लिए आगे आएंगे। किसान ग्रुप मजदूर यूनियन छत्तरगाछ के नाम से एक संगठन बनाया है। जिसमें लोगों को संगठित किया जा रहा है। जब मैं लाठी के सहारे घर घर जाकर लोगों को उनके वोट के अहमियत के बारे बताने और मतदान के प्रति जागरूक करने निकलता था। उस समय लोग मुझ पर हंसने थे। लेकिन राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानकर अभियान को जारी रखा। अब संगठन से सैकड़ों लोग जुड़ गए हैं। इनमें अधिकतर युवा हैं। लोकतंत्र की मजबूती के लिए युवाओं की भागीदारी बेहद जरूरी है। लोगों से अपील करते रहता हूं कि इंसान का वोट अनमोल है। अपने वोट के महत्त्व को समझते हुए जात पात से उपर उठकर बिना किसी स्वार्थ के ईमानदार रहनुमा के पक्ष में मतदान करें। जिससे कि क्षेत्र और समाज का समुचित विकास हो सके और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े हर व्यक्ति को इंसाफ मिले।