आज के शिक्षकों में हैं साधना की कमी : डॉ. रवि
मधेपुरा। सुचारू शिक्षण के लिए शिक्षक व शिक्षार्थी में तारतम्य आवश्यक है। इसके लिए शिक्षक और
मधेपुरा। सुचारू शिक्षण के लिए शिक्षक व शिक्षार्थी में तारतम्य आवश्यक है। इसके लिए शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों को सजग रहने की जरूरत है।
उक्त बातें पूर्व सांसद और बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रथम कुलपति प्रोफेसर डॉ. रमेंद्र कुमार यादव रवि ने कही। वह यू ट्यूब चैनल बीएनएमयू संवाद पर शिक्षक शिक्षार्थी व साहित्य विषयक व्याख्यान दे रहे थे। इस व्याख्यान का आयोजन डॉ. रवि की पाठशाला तथा प्रथम साक्षी से संवाद श्रृंखला के अंतर्गत किया गया। उन्होंने कहा कि शिक्षक को पूरी तैयारी के साथ कक्षा में जाना चाहिए। साथ ही शिक्षार्थी को भी अपनी ग्रहणशीलता बढ़ानी चाहिए। लेकिन दुख की बात है कि आज के शिक्षकों में साधना की कमी है और शिक्षार्थी भी मेहनत से पीछे भागते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य संवेदना है और इसमें दर्द है। उदाहरण के लिए एक प्रेमिका अपने प्रेमी से प्रतिदिन नदी किनारे मिलती है। एक दिन प्रेमी नाव से नदी के उस पार जाता है। प्रेमिका प्रतिदिन नदी किनारे आकर प्रेमी के आने की प्रतीक्षा करती है। एक दिन प्रेमिका यह देखती है कि नदी के दूसरे किनारे एक चिता जल रही है। वह सोचती है कि मैं जिनके विरह में जल रही हूं, कहीं यह उन्हीं की चिता तो नहीं जल रही है। यह कोई नकारात्मकता नहीं है, बल्कि यह प्रेम की पराकाष्ठा है।