खेती के साथ वर्मी कंपोस्ट का व्यवसाय करें किसान
किशनगंज। कोरोना काल में किसानों की आमदनी में गिरावट आई है। इसलिए अब जरूरी है कि किस
किशनगंज। कोरोना काल में किसानों की आमदनी में गिरावट आई है। इसलिए अब जरूरी है कि किसानो खेती के साथ वर्मी कंपोस्ट का व्यवसाय भी करें। ताकि आमदनी पहले से अधिक हो और वे स्वयं अपने गृह क्षेत्र में अन्य लोगों के लिए भी रोजगार का सृजन करने में सहायक बन सकें।
कृषि विज्ञान केंद्र आत्मा द्वारा चलाए गए तीन दिवसीय वर्मी कंपोस्ट प्रशिक्षण के दौरान रविवार को वरीय कृषि विज्ञानी इंजीनियर मनोज कुमार राय ने यह जानकारी दी। समापन अवसर पर प्रमाण पत्र वितरण करने के दौरान उन्होंने कहा कि वर्मी कंपोस्ट की मांग बढ़ने लगी है। अब किसान वर्मी कंपोस्ट के महत्व को समझने लगे हैं। यह कंपोस्ट मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के साथ फसल उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होता है। इसलिए किसानों को वर्मी कंपेास्ट प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में बताया गया कि वर्मी कंपोस्ट सामान रूप से बेकार पडे कार्बनिक पदार्थ पुआल, भूसा, सूखी घास, जलकुंभी, सब्जियों के छिलके, पशुओं के मल मूत्र और केचुओं की सहायता से बनाया जा सकता है। किसान अपने खेत में कहीं भी वर्मी कंपोस्ट बनाने में सक्षम हैं। इस कंपोस्ट को तैयार करते ही इनकी बिक्री सुलभतापूर्वक हो जाते हैं। सामान्य रूप से इस कंपोस्ट में 1.2 से 1.6 फीसद नेत्रजन, 1.8 से 2 फीसद फॉस्फोरस और 0.5 से 0.75 फीसद पेाटाश पाया जाता है। इसके अलावा लाभदायक जीवाणु, हार्मोन और एंजाइम भी पाए जाते हैं।
आत्मा के परियोजना निदेशक कृष्ण कुमार प्रसाद ने कहा कि वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए सीमित भूमि के साथ कम पूंजी लगता है। इस कंपोस्ट को तैयार कर किसान खेती के साथ व्यवसाय भी कर सकते हैं। इस व्यवसाय के लिए बैंक से ऋण भी मिल जाते हैं। प्रशिक्षण लेने वाले किसानों के बीच प्रमाण पत्र भी वितरित किए। इस प्रमाण पत्र के आधार पर प्रशिक्षु किसानों को योजनाओं का लाभ में प्राथमिकता मिलेगा। इस दौरान मुख्य रूप से कृषि विज्ञानी डॉ. हरिओम, डॉ. नीरज प्रकाश, बीएओ सत्येंद्र कुमार, सुमन कुमार, सुदीप कुमार सिंह, कौशल्या देवी, मुजफ्फर, भवेश कुमार दास, मु. अलाउद्दीन सहित आदि किसान मौजूद थे।