एंबुलेंस के अभाव में मरीजों की बढ़ रही परेशानी
किशनगंज। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बहादुरगंज में मरीजों को बमुश्किल एंबुलेंस सेवा मिल पाती है।
किशनगंज। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बहादुरगंज में मरीजों को बमुश्किल एंबुलेंस सेवा मिल पाती है। खासकर जब दुर्घटना व अन्य कारणों से गंभीर मरीजों को रेफर किया जाता है तो एंबुलेंस नहीं मिल पाती है। गत सोमवार को भी ऐसा ही वाक्या सामने आया था, अगलगी में बुरी तरह झुलस चुके मां-बेटे को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर तो कर दिया गया लेकिन एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी। घायल महिला के स्वजनों व आमलोगों ने इस पर आक्रोश भी जताया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने अपनी लाचारी बताकर हाथ खड़े कर दिए। जिसके बाद निजी वाहन से घायल को सदर अस्पताल ले जाया गया।
यह तो उदाहरण मात्र है, ऐसा वाक्या आए दिन सामने आता है। एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों अक्षम साबित हो रहा है। लगभग तीन लाख से अधिक की आबादी वाले प्रखंड क्षेत्र के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को इमरजेंसी सेवा देने के लिए वैसे तो विभाग की ओर से दो एंबुलेंस है। जिसमें से सप्ताह भर से एक एंबुलेंस खराब पड़ा है। जिस कारण अब एक ही एंबुलेंस का सहारा है। ऐसे में अगर मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर किया जाता है तो उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मरीजों की परेशानी का फायदा निजी वाहन व एंबुलेंस चालक उठाते हैं। मजबूरी की वजह से मनमाना भाड़ा वसूला जाता है।
ग्रामीण आबिद आलम, साबिर आलम, अफसाना बेगम सहित अन्य लोगों ने बताया कि बहादुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस की वजह से परेशानी आए दिन हो रही है। जिस कारण प्रखंड क्षेत्र के गरीब तबके के मरीजों को रेफर किए जाने पर एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाती है। निजी वाहन चालकों को कई गुणा अधिक भुगतान कर इलाज के लिए अन्यत्र जाना पड़ता है। इस संबंध में अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक अजय कुमार ने बताया कि एंबुलेंस सेवा एनजीओ के द्वारा संचालित की जाती है। एक सप्ताह पूर्व एक एंबुलेंस के खराब होने की सूचना जिला स्वास्थ्य समिति और संबंधित एनजीओ को दी गई है। कोट - एनजीओ की ओर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दिए गए दोनों एंबुलेंस पुराना व जर्जर स्थिति में है। जिस कारण आए दिन एंबुलेंस खराब हो जाने से परेशानी बढ़ रही है। नए एंबुलेंस की मांग विभाग से की गई है, ताकि मरीजों को दिक्कत नहीं हो। - डॉ. रिजवाना तबस्सुम, सीएचसी प्रभारी।