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10 पंचायत सेवकों के भरोसे 20 पंचायतों का कार्य

किशनगंज। सरकारी कर्मियों के ऊपर जरूरत से अधिक विभागीय कार्यों का बोझ होने के कारण

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 05:50 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 05:50 PM (IST)
10 पंचायत सेवकों के भरोसे 20 पंचायतों का कार्य

किशनगंज। सरकारी कर्मियों के ऊपर जरूरत से अधिक विभागीय कार्यों का बोझ होने के कारण विभिन्न विकास कार्य जहां अवरूद्ध हो रहा है। वहीं आमजनों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बावजूद सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। पंचायती राज में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का रास्ता पंचायत के माध्यम से होता है। जिसकी जिम्मेदारी मुख्य रूप से सरकारी कर्मी पंचायत सेवक के जिम्मे है।

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बताते चले कि बहादुरगंज प्रखण्ड अंतर्गत 20 पंचायतों के विकास कराने की जिम्मेदारी भी यहां पदस्थापित मात्र 10 पंचायत सेवक के जिम्मे ही है। लेकिन पदस्थापना व प्रभार वाले पंचायतों में वे लोग समुचित समय नहीं दे पा रहे हैं। फलस्वरूप इसका खामियाजा आमजनों को किसी न किसी रूप में भुगतना पड़ रहा है। पंचायत सेवक बलदेव प्रसाद साह के जिम्मे दुर्गापुर बनगामा व गुआबाड़ी की जिम्मेदारी है। मु. अमीरूल हक के पास निसन्द्रा व लौचा, पंचायत सेवक सह प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी विष्णु कुमार सिन्हा के पास महेशबथना, भौरादह व मोहम्मद नगर पंचायत का प्रभार है।इसी तरह मु. नूर आलम को भाटाबाड़ी व डोहर, मु. मंजर आलम झींगाकाटा पंचायत संभाल रहे हैं। मु. प्रवेज आलम झीलझिली व पलासमनी, सुमन कुमार सत्यार्थी को नटुआपाड़ा व देशियाटोली जबकि इलताफ हुसैन बनगामा व चन्दवार मिलिक पंचायत का कार्यभार संभाल रहे हैं। जय प्रकाश सिंह को अलताबाड़ी व समेसर, मु. लतीफुर रहमान को चिकाबाड़ी का दायित्व सौपा गया है।

दबे जुबान से पंचायत सेवकों ने बताया कि एक-एक पंचायत सेवक को दो-दो, तीन-तीन पंचायत के कार्यो का प्रभार सौपे जाने पर पंचायत सेवक हमलोग असहज महसूस कर रहे हैं। पंचायत सेवकों को मुख्यमंत्री ग्रामीण सात निश्चय योजना जैसे विकास कार्यों के साथ विभिन्न पेंशन योजना, कबीर अंत्येष्टि सहित 29 तरह के विभागीय कार्यों को देखना पड़ रहा है। जिसके लिए निष्पादन करने में कई बारीकियों (जांच- पड़ताल) से गुजरना पड़ता है। विभागीय कार्यो के निष्पादन में थोड़ी सी भी चूक परेशानी का कारण बन सकता है। ऐसे में एक साथ कई पंचायतों का कार्य को देखना मुश्किल हो गया है।परंतु पंचायत सेवकों की कमी व वरीय पदाधिकारी के आदेश के मद्देनजर नहीं चाहते हुए भी जिम्मेदारी संभालना पड़ता है। उधर आमजनों का कहना है कि पंचायत सेवकों के कई पंचायतों का प्रभार में रहने के कारण समय पर भेंट नहीं होने के कारण काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।


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