अभियान: कैसे मिलेगा शुद्ध जल, 84 लाख का जलमीनार हुआ बेकार
खगड़िया। आर्सेनिक से सिर्फ गंगा किनारे की पंचायतें प्रभावित है, परंतु संपूर्ण जिले के जल में आयरन क
खगड़िया। आर्सेनिक से सिर्फ गंगा किनारे की पंचायतें प्रभावित है, परंतु
संपूर्ण जिले के जल में आयरन की मात्रा मानक से अधिक है। आमजन को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के प्रयास बीच-बीच में हुए हैं, परंतु विभागीय अधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही के कारण शुद्ध और स्वच्छ पेयजल आज की तारीख तक सपना ही है। जानें जलमीनार की हकीकत
लोगों को शुद्ध पानी मुहैया कराने को लेकर जलमीनार खड़े किए गए। परंतु, अधिकांश जगहों पर यह हाथी का दांत ही साबित हुआ है। बागमती नदी किनारे स्थित है चौथम प्रखंड मुख्यालय। प्रखंड मुख्यालय परिसर में
आठ वर्ष पूर्व जलमीनार बनाया गया। जब जलमीनार बन रहा था, तो लोगों को लगा कि अब आयरन युक्त पानी से छुटकारा मिल जाएगा। परंतु, यह सपना बनकर ही रह गया। जिनके जेब में पैसे हैं, वे तो खरीदकर पानी पी रहे हैं, लेकिन गरीब-गुरबा आज भी आयरन युक्त पानी का ही सेवन कर रहे हैं।
दूसरी ओर जलमीनार शोभा की वस्तु ही बना हुआ है।
न तो लोगों के घरों तक जल का कनेक्शन पहुंच सका है और न ही जलमीनार में आइआरपी(आयरन रिमुवल प्लांट) ही लग सका है। जिससे लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब हो सके। विभाग की ओर से कई वर्षों से स्थानीय लोगों को आश्वासन ही दिया जा रहा है कि जल्द ही शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा। बताते चलें कि लगभग 84 लाख रुपये की लागत से जलमीनार का निर्माण किया गया था। कई जगहों पर जलमीनार से लगे पाइप लाइन में रिसाव हो रहा है। जिसके कारण जब-जब जलमीनार से पानी छोड़ा जाता है, तो पानी का रिसाव होने लगता है। जिससे कई जगहों सड़क पर जलजमाव की स्थिति बन जाती है। विवशता में पानी का सप्लाई बंद करना पड़ता है। लोगों की सुने..
चौथम निवासी भवानी सिमेंट भंडार के मालिक राजेश ¨सह, पैक्स अध्यक्ष मनोज कुमार साह, पोपुलर मेडिकल के शंकर ¨सह, डीह निवासी रमण ¨सह आदि कहते हैं कि कई बार इस समस्या को लेकर विभागीय पदाधिकारी को कहा गया, लेकिन अब तक परिणाम शून्य ही निकला है। लोगों ने कहा कि सात निश्चय से नल-जल योजना के तहत प्रत्येक घरों में शुद्ध पेयजल को लेकर नल लगाए जा रहे हैं। जिसमें पीएचइडी विभाग का पूर्ण सहयोग मिल रहा है। हां, घरों तक अब तक कनेक्शन नहीं दिया जा सका है।लेकिन, तमाम बातों के बावजूद लाखों रुपये की लागत से बना जलमीनार अनुपयोगी साबित हो रहा है। कोट
'कई माह पूर्व जलमीनार में आइआरपी लगाने को लेकर प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन, अब तक कोई निर्देश नहीं मिला है। वहीं पाइप लाइन की मरम्मत को भी प्रस्ताव भेजा गया है। जल्द ही इस दिशा में कार्य किया जाएगा।'
अमित कुमार, जेई, पीएचइडी, चौथम। === ===