काली कोसी पार है गांव, लगी रहती है ¨जदगी की दांव
खगड़िया। जिले के पश्चिमी पार कंजरी एक ऐसा गांव है, जहां के बच्चे आज भी काली कोसी को पारकर मध्य विद्यालय कंजरी(पूर्वी पार) पहुंचते हैं। छोटे-छोटे बच्चे और किशोर प्रतिदिन भगवान का नाम लेकर छोटी नाव से नदी पार करते हैं। जब नदी में पानी बढ़ता है, तो इन बच्चों और इनके अभिभावकों की धड़कनें भी बढ़ जाती हैं। मालूम हो कि बेलदौर प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कैंजरी पंचायत। कैंजरी गांव को काली कोसी दो भागों में बांटती है। कैंजरी पश्चिम पार के ग्रामीण हर रोज काली कोसी को पार कर पंचायत मुख्यालय पहुंच पाते हैं।
खगड़िया। जिले के पश्चिमी पार कंजरी एक ऐसा गांव है, जहां के बच्चे आज भी काली कोसी को पारकर मध्य विद्यालय कंजरी(पूर्वी पार) पहुंचते हैं। छोटे-छोटे बच्चे और किशोर प्रतिदिन भगवान का नाम लेकर छोटी नाव से नदी पार करते हैं। जब नदी में पानी बढ़ता है, तो इन बच्चों और इनके अभिभावकों की धड़कनें भी बढ़ जाती हैं।
मालूम हो कि बेलदौर प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कैंजरी पंचायत। कैंजरी गांव को काली कोसी दो भागों में बांटती है। कैंजरी पश्चिम पार के ग्रामीण हर रोज काली कोसी को पार कर पंचायत मुख्यालय पहुंच पाते हैं। यहां के छात्र भी वर्ग पांच उत्तीर्ण करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए नाव से नदी को पार कर पूर्वी कैंजरी पहुंचते हैं। जहां मध्य विद्यालय है। मालूम हो कि यहां दशकों से काली कोसी पर पुल बनाने की मांग की जाती रही है, परंतु परिणाम शून्य ही निकला है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार अगर काली कोसी पर पुल बन जाता है, तो कोपरिया स्टेशन की दूरी मात्र दस किलोमीटर हो जाएगी। अभी यहां के लोग 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर महेशखूंट अथवा सिमरी बख्तियारपुर पहुंच कर ट्रेन पकड़ते हैं। मुखिया पचिया देवी ने कहा कि पुल को लेकर कई दफा वरीय अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया, परंतु परिणाम ढाक का तीन पात ही निकला। बच्चे जब नाव से नदी पार कर विद्यालय पहुंचते हैं, तो अभिभावकों की ¨चता स्वाभाविक ही है। कुछ ऐसी ही बात पूर्व पंसस इंदल यादव, अमित प्रकाश, शत्रुघ्न यादव, नरेश यादव ने कही।