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गेहूं से लेकर चना और मसूर की नहीं शुरू हुई सरकारी स्तर पर खरीदारी

खगड़िया की मुख्य फसल मक्का धान और गेहूं है। यहां मक्का के बाद सर्वाधिक गेहूं की ही खेती होती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 08:32 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 08:32 PM (IST)
गेहूं से लेकर चना और मसूर की नहीं शुरू हुई सरकारी स्तर पर खरीदारी

खगड़िया। खगड़िया की मुख्य फसल मक्का, धान और गेहूं है। यहां मक्का के बाद सर्वाधिक गेहूं की ही खेती होती है। मक्का की खेती 50 हजार और गेहूं की 42 हजार हेक्टेयर में होती है। लेकिन, सरकारी स्तर पर 20 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू नहीं हो सकी। किसान व्यापारियों, बिचौलिये के माध्यम से गेहूं बेचने को विवश हैं।

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प्रभारी जिला सहकारिता पदाधिकारी मु. नवाजिस अख्तर ने मंगलवार को दैनिक जागरण को बताया कि अभी कोरोना विस्फोट का समय है। सभी लोग कोरोना से बचाव संबंधित कार्य में लगे हुए हैं। इसलिए 20 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू नहीं हो सकी है। पैक्स चिन्हित नहीं किए गए हैं। किसानों के रजिस्ट्रेशन को लेकर भी समस्या है। कृषि विभाग की ओर से उत्पादन का लक्ष्य भी नहीं दिया गया है। जल्द ही पैक्स स्तर से गेहूं खरीद शुरू की जाएगी।

दूसरी ओर प्रभारी जिला कृषि पदाधिकारी मुकेश कुमार का कहना है कि गेहूं का जिले में अच्छादन 42 हजार हेक्टेयर में हुआ। क्रॉप कटिग के आधार पर संभावित उत्पादन एक लाख 44 हजार 900 क्विटल है। जिसकी जानकारी जिला सहकारिता पदाधिकारी को उपलब्ध करा दी गई है।

इधर, अब तक गेहूं की सरकारी स्तर पर खरीद शुरू नहीं होने से किसान विकास ट्रस्ट के कृष्ण मोहन सिंह मुन्ना ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि पैक्स के माध्यम से शीघ्र गेहूं की खरीद शुरू हो। ताकि किसान बिचौलिये के चंगुल में जाने से बचे। अमनी गांव के प्रगतिशील किसान प्रमोद कुमार सिंह कहते हैं- अब तक सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीद शुरू नहीं की गई है। जिससे किसान बिचौलिये के हाथों गेहूं बेचने को विवश हैं। सरकारी समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति क्विटल है। जबकि बिचौलिया और व्यवसायी 15 सौ रुपये प्रति क्विटल की दर से गेहूं खरीद रहे हैं। चना और मसूर की भी शुरू नहीं हुई है खरीदारी

जिला में दलहन उत्पादन का कुल रकबा पांच हजार हेक्टेयर है। जिसमें मसूर की खेती 1640, मटर 1720 और चना की खेती 525 हेक्टेयर में होती है। सरकारी दर पर चना और मसूर की खरीदारी होनी है। 15 अप्रैल से इसकी खरीदारी शुरू हो जानी थी। जो अब तक शुरू नहीं हुई है। जिला खाद्य निगम के प्रभारी पदाधिकारी ब्रजकिशोर जी कहते हैं- किसान सलाहकारों के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया गया, लेकिन अब तक किसानों का रजिष्ट्रेशन ही नहीं हुआ है। दूसरी ओर अमनी गांव के किसान अवधेश सिंह ने एक एकड़ में मसूर की जीरो टिलेज विधि से खेती की थी। सवा मन कट्ठा के हिसाब से उपज हुई। परंतु, वे भाव चढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। सरकारी स्तर पर मसूर का निर्धारित मूल्य 51 सौ रुपये प्रति क्विटल है, जबकि मार्केट में 64 सौ रुपये क्विटल तक बिक रहे हैं। अवधेश सिंह कहते हैं- मार्केट में भाव अभी और बढ़ेगा, तब मसूर बेचेंगे।


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