Move to Jagran APP

दर-दर की ठोकर खाने को विवश है विस्थापित

खगड़िया। ठंड का मौसम आरंभ होते ही कोसी नदी के किनारे बसे विस्थापित परिवारों की समस्या

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 09:17 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 09:17 PM (IST)
दर-दर की ठोकर खाने को विवश है विस्थापित
दर-दर की ठोकर खाने को विवश है विस्थापित

खगड़िया। ठंड का मौसम आरंभ होते ही कोसी नदी के किनारे बसे विस्थापित परिवारों की समस्याएं बढ़ने लगी है। कोसी कटाव से विस्थापित परिवारों को सरकार के मुलाजिमों की ओर से आश्वासन ही मिल रहा है। लेकिन इनको पुनर्वासित करने का अब तक कोई ठोस प्रयास आरंभ नहीं हुआ है। हर साल विस्थापितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। विस्थापित दर-दर भटकने को विवश हैं। वर्तमान में प्रखंड के सैकड़ों परिवार विस्थापित की ¨जदगी जीने को विवश है। कोसी नदी ने पचाठ, डुमरी, इतमादी सहित कई गांवों का भूगोल ही बदल दिया है। उक्त गांवों के सैकड़ों परिवार को आज तक वासगीत पर्चा उपलब्ध नहीं हो सका है। बीपीएल में नाम रहने के बाद भी आवास योजना के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है। सबसे खराब हाल कोसी नदी किनारे गाइड बांध पर बसे कामास्थान महादलित टोला के कटाव पीड़ित परिवारों का है। पचाढ़ मुनी टोला के विस्थापित भी पुनर्वास की आस में टकटकी लगाए हुए हैं। इस वर्ष कुंजहरा के पांच दर्जन से अधिक परिवार विस्थापित हुए।

loksabha election banner

========

बोले, सीओ अमित कुमार

कटाव पीड़ितों को वासगीत पर्चा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत हूं। पूर्व में दर्जनों परिवार को वासगीत पर्चा उपलब्ध भी करवाया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.