Move to Jagran APP

उथली नदियां अगर अगले साल उफनाईं तो तांडव मचना तय

कोसी और बागमती में धीरे-धीरे गाद जमा होने से जगह-जगह पर वे उथली हो गई हैं। जागरण टीम चौथम (खगड़िया) कोसी और बागमती में धीरे-धीरे गाद जमा होने से जगह-जगह पर

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 09:40 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 09:40 PM (IST)
उथली नदियां अगर अगले साल उफनाईं तो तांडव मचना तय
उथली नदियां अगर अगले साल उफनाईं तो तांडव मचना तय

जागरण टीम, चौथम (खगड़िया): कोसी और बागमती में धीरे-धीरे गाद जमा होने से जगह-जगह पर वे उथली हो गई हैं। बाढ़-बरसात के समय उथली नदियों में जब उफान आता है, तो बांध-तटबंधों के ऊपर से पानी बहने की संभावना बनी रहती है। पानी ओवरफ्लो करने के डर से तटबंधों के किनारे के लोग रतजगा करते हैं। विभाग की भी नींद उड़ी रहती है। इसके निदान को लेकर केवल बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल-दो, खगड़िया के अधीन कराचीन-बदलाघाट और बदलाघाट-नगरपाड़ा तटबंध के ऊंचीकरण का कार्य 21-3-2018 में शुरू हुआ। इसके तहत 363 करोड़ की लागत से कराचीन-बदलाघाट तटबंध के बिथान से बदलाघाट तक 48 किलोमीटर और बदलाघाट- नगरपाड़ा तटबंध के बदलाघाट से डुमरी तक 17.50 किलोमीटर में ऊंचीकरण का कार्य होना है। 2019 में कार्य पूरा होना था, जो अब तक नहीं हुआ है

loksabha election banner

कार्य एजेंसी बीएसीपीएल प्राइवेट लिमिटेड को 2019 में इसे पूरा कर लेना था। लेकिन 2021 के दिसंबर तक कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। अब कंपनी ने मई-जून 2022 तक का समय मांगा है। निर्माण कंपनी के एसपीएम केके सिंह कहते हैं- जून 2022 तक कार्य पूर्ण हो जाएगा। अब देखना है कि विभाग एक्सटेंशन देता है या नहीं। कुशेश्वर स्थान में बांध बनने बाद खगड़िया में वाटर लेवल रेज करेगा

दरभंगा के कुशेश्वर स्थान में भी बांध बन रहा है। ऐसे में अगर इन दोनों तटबंधों का ऊंचीकरण नहीं हुआ, तो भविष्य में समस्या गहरा सकती है। अभी तक पानी का फैलाव कुशेश्वर स्थान की तरफ हो जाता था, जो वहां बांध बनने बाद नहीं होगा। तब खगड़िया में वाटर लेवल रेज करेगा, जो खतरे की घंटी होगी। निर्माण कार्य में देरी के कारण

एक: भू-अर्जन में विलंब के कारण ऊंचीकरण कार्य प्रभावित हुआ है।

दो: कोविड-19 के कारण लगे लाक डाउन से भी निर्माण कार्य प्रभावित हुआ।

तीन: कार्य एजेंसी की ढिलाई के कारण भी निर्माण कार्य की तिथि बढ़ती रही। कोट

कोसी और बागमती नदी में गाद जमा हो रहा है। नदी उथली होती जा रही है। ऐसे में बाढ़ के समय तटबंधों के ऊपर से कई बार पानी बहने की संभावना रहती है। इसलिए ऊंचीकरण का कार्य शुरू किया गया। ऊंचीकरण कार्य पूर्ण होने पर तटबंध के एरिया में कभी भी बाढ़ का पानी नहीं जाएगा।

गणेश प्रसाद सिंह, कार्यपालक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल-दो, खगड़िया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.