बढ़ी काष्ठ मेला की रौनक, दूर-दूर से आ रहे हैं खरीदार
खगड़िया। एक माह तक चलने वाले खगड़िया काष्ठ मेला की रौनक बढ़ी है। दूर-दूर से खरीदार आने लगे हैं। यहां बेगूसराय, सहरसा आदि से खरीदार आ रहे हैं। मालूम हो कि यहां दूर-दराज के व्यवासायी डेरा डाले हुए हैं। काष्ठ मेला में एक से बढ़कर एक फर्नीचर के समान उपलब्ध है।
खगड़िया। एक माह तक चलने वाले खगड़िया काष्ठ मेला की रौनक बढ़ी है। दूर-दूर से खरीदार आने लगे हैं। यहां बेगूसराय, सहरसा आदि से खरीदार आ रहे हैं। मालूम हो कि यहां दूर-दराज के व्यवासायी डेरा डाले हुए हैं। काष्ठ मेला में एक से बढ़कर एक फर्नीचर के समान उपलब्ध है। टेबल, कुर्सी, पलंग, दीवान, खटिया, चकला, बेलना से लेकर खड़ाऊं तक उपलब्ध है। यहां शीशम, सागवान से लेकर आम, कटहल तक के फर्नीचर उपलब्ध है। सस्ते से लेकर महंगे दर पर फर्नीचर उपलब्ध है। बेगूसराय से पलंग खरीदने आए सुधा देवी ने कहा कि खगड़िया काष्ठ मेला का बड़ा नाम सुना। इसलिए यहां आई हूं। पसंद की एक पलंग खरीदकर ले जाउंगी। मालूम हो कि यहां बड़ी संख्या में जुगाड़ चालक, ठेला चालक भी मौजूद रहते हैं, जो नाम-पते पर फर्नीचर पहुंचाते हैं। क्या कहते हैं व्यवसायी
गोगरी जमालपुर के काष्ठ व्यवसायी मो. अंसार यहां 20 वर्षों से दुकान लगा रहे हैं। इन्होंने कहा कि सेल ठीक-ठाक है। दो-तीन दिनों में बिक्री और बढ़ेगी। लालगंज, वैशाली के संजय कुमार बीते दो वर्ष से खगड़िया काष्ठ मेला में दुकान लगा रहे हैं। कहा, यहां अच्छी-खासी बिक्री होती है। सबसे बड़ी बात है कि शांति और सुरक्षा है। आराम से व्यवसाय करते हैं। गोगरी के राधे शर्मा कहते हैं- 25 साल से यहां आ रहा हूं। पहले पिताजी दुकान लगाते थे। अब खुद लगाता हूं। पहले की अपेक्षा बिक्री नहीं है। उम्मीद है कि कुछ दिनों बाद बिक्री बढ़े। अब लकड़ी महंगे दामों पर मिलती है। शीशम-सागवान की लकड़ी बाहर से मंगाना पड़ता है। नारायणपुर के दिलीप शर्मा भी 20 वर्षों से यहां दुकान लगा रहे हैं। अभी सेल कम है। देखें, आगे क्या होता है। जबकि चुकती के अरुण शर्मा ने बताया कि 20 साल से दुकान लगा रहा हूं। यहां दूर-दूर से फर्नीचर के खरीदार आते हैं। इंसेट
लकड़ी का समान, रेट
दीवान : 10 से 25 हजार तक
पलंग : छह से आठ हजार तक
चौकी : 15 से तीन हजार तक
टेबल : 12 से 15 सौ तक
कुर्सी : 13 से 15 सौ रुपये जोड़ी
ड्रे¨सग टेबुल : छह से 20 हजार तक