जगह-जगह जल जमाव, बढ़ा मच्छरों का प्रकोप, फैल सकता है डेंगू
खगड़िया । बरसात में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने के साथ ही डेंगू का प्रभाव दिखने लगता है। गत वर्ष
खगड़िया । बरसात में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने के साथ ही डेंगू का प्रभाव दिखने लगता है। गत वर्ष भी जिले में डेंगू का काफी प्रभाव रहा था। जून से अब तक रूक-रूक कर बारिश हो रही है। इससे जगह- जगह जल जमाव की समस्या है। जिससे मच्छर का प्रकोप बढ़ा है। ऐसे में लोग डेंगू के प्रकोप को लेकर सहमे हुए हैं। बुखार होने पर लोग डेंगू की आशंका से सहम जाते हैं और जांच के लिए भटकने लगते हैं। डा. संतोष कुमार सिंह कहते हैं- डेंगू से
बचाव आवश्यक है। वरना यह जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन में, खासकर सुबह को काटता है। डा. संतोष कुमार सिंह ने बताया कि डेंगू बरसात के मौसम व बाद के महीनों तक अधिक फैलता है। यह समय मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल होता है। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता है। इससे बचाव कर डेंगू से बचा जा सकता है कैसे होता है डेंगू
डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होता है। डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है। अमूमन मच्छर के काटे जाने के करीब पांच दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। डेंगू के लक्षण व प्रकार
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. योगेंद्र सिंह प्रयासी के अनुसार डेंगू तीन प्रकार के होते हैं। जिसमें पहला क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार, दूसरा डेंगू हैमरेजिक बुखार व तीसरा डेंगू शाक सिड्रोम है।
जिसमें दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप या साधारण इलाज से ठीक हो जाता है।
साधारण डेंगू बुखार में ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना,
आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है, कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मितलाना तथा मुंह का स्वाद खराब होना
गले में हल्का-सा दर्द होना, शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना आम लक्षण है। वहीं डेंगू हैमरेजिक बुखार में साधारण डेंगू के लक्षण के साथ नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना, स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चिकत्ते पड़ जाना मुख्य लक्षण हैं। ऐसे लक्षण देखते ही फौरन चिकित्सक के पास पहुंचें। इसमें देर करना खतरनाक हो सकता है।
शाक सिड्रोम डेंगू का तीसरा प्रकार है। इसमें दोनों लक्षणों के साथ के संग शाक की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे मरीज का बहुत बेचैन हो जाना, तेज बुखार के बावजूद स्किन ठंड महसूस होता है। मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है।
उसका ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाता है। यह शाक सिड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। लक्षण पर तुरंत टेस्ट कराएं
अगर तेज बुखार हो, जाइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर लक्षण नहीं हैं, पर तेज बुखार बना रहता है तो फिजिशियन के पास जरूर जाएं। शक होने पर डाक्टर डेंगू की जांच कराएंगे। डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है। प्लेटलेट्स की जांच भी है आवश्यक
डेंगू होने पर लोगों के शरीर में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं और अधिक कम होना जानलेवा हो सकता है। आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बाडी की ब्लीडिग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं, तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है तथा लगातार नीचे होना डेंगू का प्रमाण है। प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं, तो मरीज को फौरन हास्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसी स्थिति में मरीज की जान जा सकती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिग नहीं होती। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है। जिससे बाडी में ब्लीडिग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से हर पल लगातार गिर रहे हैं, तो ऐसे मरीज को 20 हजार पर पहुंचते- पहुंचते डाक्टर प्लेटलेट्स चढाने की व्यवस्था करते हैं। रोकथाम के लिए क्या करें
डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होता है। इसके लिए मच्छर से बचना आवश्यक है। इस मच्छर का प्रजनन जमे साफ पानी में होता है। जिसके लिए घर के आसपास या घर में फ्रीज, कूलर या अन्य वस्तु में पानी जमा नहीं रहने दें। अगर घर के आसपास जल जमाव है, तो टेमीफास दवा अथवा केरोसिन का छिड़काव करें। इससे मच्छर का लाड़वा मर जाता है। मच्छर का फैलाव नहीं होता है। वहीं मच्छर से बचने के भी प्रबंध करें। खुला बदन न रहें। मच्छरदानी लगाकर सोएं।