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लगातार दूसरे वर्ष किसानों को नहीं मिला मक्का का सही रेट

खगड़िया। जिले की आर्थिकी का मूल आधार खेती और पशुपालन है। मक्का उत्पादन में खगड़िया का ड

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 09:20 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 01:14 AM (IST)
लगातार दूसरे वर्ष किसानों को नहीं मिला मक्का का सही रेट
लगातार दूसरे वर्ष किसानों को नहीं मिला मक्का का सही रेट

खगड़िया। जिले की आर्थिकी का मूल आधार खेती और पशुपालन है। मक्का उत्पादन में खगड़िया का डंका बजता है।

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50 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। लगभग तीन लाख 50 हजार मीट्रिक टन पैदावार होती है। जिले में सबसे अधिक बेलदौर प्रखंड में 12 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है।

लेकिन, कोरोना और लॉकडाउन के कारण मक्का किसानों की अपनी उपज की सही कीमत नहीं

मिल रही है। बाहरी व्यवसायी आए नहीं हैं और किसान लोकल व्यवसायियों के हाथों तैयार मक्का बेचने को विवश हैं। सुखाय बासा के किसान मु. निहाल ने बताया कि रोजगार-पाती चौपट हो गई है। चूल्हे जलाने को लेकर किसान लोकल व्यवसायियों और बिचौलिये के हाथों मक्का बेचने पर विवश हैं। किसान आटा- चावल के लिए औने- पौने भाव पर मक्का बेच रहे हैं। दिघौन के मु. अताउल्लाह और इतमादी के मंटू यादव ने बताया कि लोकल व्यवसायी 14 सौ रुपये प्रति क्विटल मक्का खरीद रहे हैं। जबकि 2019 में 22 सौ रुपये प्रति क्विटल मक्का बेचे थे। किसानों के मुताबिक बीते वर्ष 2020 में भी कोरोना और लॉकडाउन के कारण रेट नहीं मिला और इस साल भी संकट है। मक्का का भाव बढ़ने के बजाय गिरता ही जा रहा है। जबकि एक हेक्टेयर मक्का की खेती में 25 से 30 हजार रुपये खर्च आते हैं। एक हेक्टेयर में 65 क्विटल तक उपज होती है। किसानों ने कहा कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वे मक्का की खेती छोड़ने को विवश हो जाएंगे। किसानों ने कहा कि गेहूं-धान की तरह मक्का की भी सरकारी दर पर खरीदारी हो।


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