ठंड और पाला से पान किसान परेशान
खगड़िया। कड़ाके की ठंड शीतलहर और पाला से जहां गेहूं उत्पादक किसान खुश हैं वहीं
खगड़िया। कड़ाके की ठंड, शीतलहर और पाला से जहां गेहूं उत्पादक किसान खुश हैं, वहीं पान किसानों के माथे पर चिता की लकीरें खींच गई है। जिले के महेशखूंट के आसपास पान की खेती होती है। 'महेश खुटिया पान' की पहचान कोसी और सीमांचल में है। एक सप्ताह से जारी शीतलहर पाला से पान किसान परेशान हैं। पान के पत्ते गलने लगे हैं। किसानों को पूंजी डूबने की चिता है। मालूम हो कि बाढ़ अतिवृष्टि और ठंड पाला के कारण किसान पान की खेती से विमुख होते जा रहे हैं। पान की फसल नष्ट होने पर फसल क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान नहीं है। महेशखूंट स्थित पान आढ़त संचालक श्रवण चौरसिया ने बताया कि अभी देसी पत्ता पान का काफी अभाव है। पाला का प्रभाव पड़ा है। जो पान के पत्ते किसान लेकर आ रहे हैं उसमें अधिकांश खराब निकल जाते हैं। पान किसान गोरेलाल चौरसिया कहते हैं कि पान की खेती में अब पूंजी वापस होना भी कठिन हो गया है। सरकार की ओर से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती है। दुखाटोल के किसान राजेश चौरसिया ने कहा कि पान की खेती में अधिक पूंजी और श्रम लगता है, लेकिन इस बार पूंजी निकलना मुश्किल लग रहा है। गौछारी के छोटेलाल चौरसिया ने बताया कि अब पान की खेती छोड़कर किसान गेहूं की खेती करने लगे हैं। गढ़मोहिनी गांव के रामदेव चौरसिया ने कहा कि पाला गिरते ही पान की बर्बादी शुरू हो जाती है। ''शीतलहर और पाला से पान की फसल को नुकसान पहुंचता है। पान की खेती पर फसल क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं है।
-मु. जावेद, जिला उद्यान पदाधिकारी, खगड़िया।