किनसे करें फरियाद, नहीं मिल रहे मक्का के खरीदार
खगड़िया। मक्का उत्पादन के क्षेत्र में खगड़िया का अव्वल स्थान है। देश स्तर पर क्षेत्र की पहचान ह
खगड़िया। मक्का उत्पादन के क्षेत्र में खगड़िया का अव्वल स्थान है। देश स्तर पर क्षेत्र की पहचान है। पूरे जिले में 31 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। उपज की बात करें तो औसतन प्रति हेक्टेयर 45 से 50 क्विटल अर्थात एक लाख 55 हजार मीट्रिक टन मक्का की उपज होती है। बेलदौर में 12 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। परंतु सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण किसान परेशान हैं। मानसी में मक्के पर आधारित उद्योग प्रिस्टिन मेगा फूड पार्क हाथी का दांत साबित हो रहा है। चार माह पूर्व खेतों में तैयार मक्का के खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। किसानों की समस्याओं के निदान को लेकर जनप्रतिनिधियों की ओर से ठोस पहल नहीं किए गए हैं। मक्का आधारित उद्योग नहीं रहने से लागत पूंजी भी डूबती नजर आ रही है।
क्या कहते हैं किसान
एक हेक्टेयर जमीन 50 हजार रुपये सालाना लीज पर लेकर मक्का की खेती की। खेती में 50 हजार रुपये की लागत आई। 45 क्विटल उपज हुई। महाजन नौ सौ से एक हजार रुपये प्रति क्विटल की भाव से मक्का लेने की बात कह रहे हैं। लागत पूंजी भी डूबती नजर आ रही है।
रविद्र यादव, पीरनगरा सरकार की ओर से मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1760 रुपये प्रति क्विटल कागजों तक ही है। उचित बाजार के अभाव में मक्का के खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। किसानों के सामने अंधेरा छाया हुआ है।
छत्री शर्मा, पनसलवा मक्का पर आधारित उद्योग बेलदौर प्रखंड के लिए सपना बना हुआ है। इसको लेकर जनप्रतिनिधि भी लापरवाह बने हुए हैं। किसानों से किसी भी दलों को मतलब नहीं है।
रमण सिंह, पनसलवा बीते वर्ष 21 सौ रुपये प्रति क्विटल की दर से मक्का की बिक्री की। इस वर्ष मक्का के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। आंधी-बारिश में फसल को नुकसान अलग से हुई। तैयार फसल खरीदार के अभाव में नष्ट हो रही है।
रंजीत सिंह, पनसलवा क्या कहते हैं जिला कृषि पदाधिकारी मु. शकील अख्तर अंसारी पूरे जिले में 31 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। मक्का पर आधारित उद्योग की स्थापना को लेकर कई बार उद्योग विभाग को पत्र भेजा जा चुका है। मक्का पर आधारित उद्योग रहने के बाद यहां के किसानों की तकदीर बदल सकती है।
मक्का आधारित उद्योग को लेकर प्रयासरत हूं। प्रिस्टिन मेगा फूड पार्क को चालू कराने का प्रयास जारी है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्री को पत्र लिखे हैं। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का भी ध्यान आकृष्ट कराया गया है। चौधरी महबूब अली कैसर, सांसद