खगड़िया में 74 हजार फर्जी नामांकन पर करोड़ों की हेराफेरी
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खगड़िया। जिले के 1062 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में करीब 74 हजार बच्चों का फर्जी नामांकन दिखाकर करोड़ों रुपये गोलमाल की गई। सर्वाधिक फर्जी नामांकन अलौली व बेलदौर प्रखंड के विद्यालयों में होने की आशंका जताई जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार 2016-17 में बच्चों के खाते में सीधे रुप से राशि भेजने की प्रक्रिया व आरटीजीएस के माध्यम से खाते में राशि भेजने की प्रक्रिया के दौरान 74 हजार से अधिक बच्चे मिले ही नहीं। सूत्रों का कहना है कि एक बच्चे का कई विद्यालयों में नामांकन कराकर विभाग से राशि भेजी जाती रही। तीन साल का ही आंकड़ा ली जाए तो 74 हजार के नाम हटाए गए। कहते हैं कि अधिकांश सरकारी शिक्षक के बच्चे महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। लेकिन कई शिक्षकों के बच्चों के नाम सरकारी विद्यालयों में भी हैं। जानकारी के अनुसार मामला संज्ञान में आने के बाद पूरे बिहार में 50 लाख फर्जी नामांकन के बल पर अरबों रुपये की हेराफेरी मामले में शिक्षा मंत्री द्वारा प्राथमिक शिक्षा निदेशक को जांच के आदेश दिए गए हैं। जिसकी समीक्षा विभाग के प्रधान सचिव भी करेंगे। सूत्रों का यह भी कहना है कि मामला बिहार विधानसभा में उठने के बाद विभाग हरकत में आई। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सर्वशिक्षा अभियान द्वारा वर्ग एक से आठ तक के सभी जाति के स्कूली बच्चों को (एपीएल छोड़कर) प्रति छात्र छह सौ रुपये पोशाक के लिए दिया जाता है। वहीं, शिक्षा विभाग की ओर से एपीएल छात्रों में वर्ग एक से दो तक को चार सौ, वर्ग तीन से पांच तक के एपीएल लड़कों को पांच सौ, वर्ग छह से आठ तक के एपीएल बच्चों को सात सौ रुपये हर साल दिया जाता है। जबकि सभी जाति की छात्राओं को वर्ग तीन से पांच तक एक सौ, वर्ग छह से आठ तक के अनुसूचित जाति बीपीएल को एक सौ, सभी जातियों की बच्चियों को चार सौ रुपये मिलते हैं। इसके अलावा छात्रवृति से लेकर एमडीएम तक में सरकार की ओर से करोड़ों रुपये विद्यालय के खाते में भेजा जाता है।
क्या है स्कूलों में तीन साल के नामांकन की हालत
विभागीय सूत्रों की माने तो वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिले के 1062 प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में बच्चों का नामांकन चार लाख पांच हजार छह सौ 11 था। जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा घटकर तीन लाख 31 हजार छह सौ 26 आ गया। इस तरह बच्चे के खाते में सीधे राशि भेजने व आरटीजीएस के माध्यम से भेजने की प्रक्रिया के बाद से 74085 बच्चों का नाम गायब हो गया। ऐसे में व्यापक हेराफेरी से इनकार नहीं किया जा सकता है।
कोट
ऑन लाइन खाते में राशि भेजने से पहले कई जगहों पर दोहरे नामांकन की बात आई थी। विभाग द्वारा इसका आसपास के विद्यालयों से वृहत मिलान कराने पर ऐसे बच्चों का नाम पंजी से हटाया गया। पहले बच्चे मौसा-मौसी अथवा रिश्तेदार के यहां स्कूलों में नाम लिखा दिया जाता था। मिलान होने व ऑन लाइन राशि भेजने की प्रक्रिया बाद अब नाम मात्र का दोहरे नामांकन हो सकता है।
चंद्रमणि मिश्र, डीडीओ, सदर प्रखंड, खगड़िया
कोट
इस तरह का मामला अभी संज्ञान में नहीं आया है। संज्ञान में आने पर इसकी स्तरीय जांच कराई जाएगी और यदि मामला सही निकला तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही संबंधित थानों में प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाएगी।
सुरेंद्र कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, खगड़िया।