ट्रेन हादसा: संन्यासी सुदर्शन दास का सपना अधूरा ही रह गया
खगड़िया। संन्यासी सुरो यादव उर्फ सुदर्शन दास की मौत से बेला गांव में मातम का चादर पसर गया ह
खगड़िया। संन्यासी सुरो यादव उर्फ सुदर्शन दास की मौत से बेला गांव में मातम का चादर पसर गया है। सुदर्शन दास संन्यासी थे और गांव से बाहर कुटिया बनाकर अकेले रहते थे। भगवान बजरंगबली के भक्त सुदर्शन दास की कुटिया पर साधु, संन्यासियों का आना-जाना लगा रहता था। सुदर्शन दास ने अन्य साधु-संन्यासियों के साथ कुंभ जाने की योजना बनाई थी। साधु विश्वंभर दास कहते हैं- हमलोगों ने साथ-साथ प्रयागराज जाने की योजना बनाई थी, परंतु प्लान स्थगित हो गया। 16 फरवरी को मैं और अन्य साधु कुंभ जाने वाले थे। सिर्फ सुदर्शन दास जी गृहस्थ झक्कस के साथ कुंभ के लिए रवाना हुए। परंतु, होनी को कुछ और ही मंजूर था। भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया है।
सुदर्शन दास की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों के साथ-साथ
ग्रामीण भी स्तब्ध हैं। सुदर्शन दास के छोटे भाई रमेश यादव ने बताया कि झक्कस
यादव ने रविवार की सुबह छह बजे भैय्या के मौत की सूचना दी। रमेश ने कहा कि सुदर्शन दास बाल ब्रह्मचारी थी। बचपन से ही भगवान की पूजा, अर्चना में लीन रहते थे। बजरंगबली के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने गांव से हटकर अपनी जमीन पर ही कुटिया बनाई थी। वे एक ठाकुरबाड़ी भी बना रहे थे। कुंभ जाने से पहले उन्होंने कहा था, प्रयागराज से लौटने बाद ठाकुरबाड़ी भवन का निर्माण कार्य पूरा करेंगे। लेकिन, भगवान ने उन्हें ऊपर उठा लिया। भैय्या का सपना अधूरा ही रह गया। रमेश यादव के मुताबिक भाई सुदर्शन दास के अधूरे सपने को वे साकार करेंगे। घटना की सूचना मिलते ही प्रखंड प्रमुख विकास कुमार, पंसस मधु देवी समेत दर्जनों ग्रामीण पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया।