जेल से बरामद आपत्तिजनक सामान मामले में नया मोड़
खगड़िया। किसी मामले में बड़े अधिकारियों के गर्दन फंसने की संभावना पर निचले स्तर के कर्मिय
खगड़िया। किसी मामले में बड़े अधिकारियों के गर्दन फंसने की संभावना पर निचले स्तर के कर्मियों को बलि का बकरा बना दिया जाता है। यही हालात मंडल कारा खगड़िया में देखने को मिल रहा है। 11 अगस्त 2018 को जिला प्रशासन द्वारा अचानक मंडल कारा के निरीक्षण के दौरान वार्ड नंबर-तीन से मोबाइल, दो चार्जर, बैट्री एवं सीम दो-दो बरामद किया गया। इस मामले में गृहरक्षक राजीव कुमार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जेल प्रशासन सक्रिय हो उठा। इधर, गृह रक्षक राजीव का कहना हुआ कि 11 अगस्त को 12 बजे दिन से 6 बजे संध्या तक ही उनकी डयूटी थी। गृहरक्षक के अनुसार उस अवधि में किसी वार्ड से कोई आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ। गृह रक्षक ने सवाल उठाया है कि जेल वार्ड में बंदियों के जांच पड़ताल का काम उनका नहीं है। यह काम जेल अधिकारी अथवा जेल जामादार का है। आरोप लगाया गया है कि जेल प्रशासन अपने को फंसते देख उन्हें बलि का बकरा बना दिया गया है। ऐसे में कई सवाल एक साथ उठने लगे हैं। पहला तो यह कि जेल के मुख्य गेट पर जवानों की डयूटी रहती है। जेल परिसर में प्रवेश से पहले किसी की भी जांच पड़ताल होती है। जेल के अंदर प्रवेश अनाधिकृत प्रतिबंध है। इस गेट पर भी जवानों व अधिकारियों की तैनाती होती है। इस गेट होकर बिना मिलीभगत के कैसे कोई आपत्तिजनक सामान जेल के अंदर जा रहा है। गृह रक्षक के सवालों से जेल की व्यवस्था पर ही सवाल उठ खड़ा हुआ है। इधर, गृहरक्षा वाहिनी के समादेष्टा अनिल कुमार ¨सह को कई बार फोन लगाया गया, मगर उन्होंने रिसीव नहीं किया। बहरहाल, निचले स्तर के कर्मियों पर कार्रवाई दिखाकर वास्तविक दोषियों को बचाने की प्रथा से जेल व्यवस्था पर सवाल उठाना तो लाजिमी ही है।
कोट
'मामला क्या है वे फोन पर नहीं समझ पा रहे हैं। इस तरह का कोई मामला हुआ है तो उन्हें लिखित रूप में शिकायत करें तो आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।'
विपिन कुमार, जेल अधीक्षक, खगड़िया।