दियारा में गांव, कहां-कहां खोजे ठांव
खगड़िया। नदियों से घिरे गोगरी अनुमंडल के दियारा क्षेत्र में आज भी घोड़े की टाप और बीच
खगड़िया। नदियों से घिरे गोगरी अनुमंडल के दियारा क्षेत्र में आज भी घोड़े की टाप और बीच-बीच में गोलियों की आवाज सुनाई पड़ती रहती है। कास, पटेर और झौआ के जंगल अपराधियों के लिए सुरक्षित शरण स्थली है। विकास से कोसों दूर यहां के आमलोग भगवान का नाम लेकर जीवन-यापन करते हैं। जब घटना घटती है, तब घंटों बाद पुलिस पहुंचती है। गंगा दियारा सदा से ही अपराधियों का गढ़ माना जाता रहा है। आज भी सीधा सड़क संपर्क अनुमंडल मुख्यालय से नहीं हो सका है। मालूम हो कि गोगरी-मुंगेर दियारा क्षेत्र में गोगरी के अलावा मुंगेर जिले अंतर्गत हरिणमार, झौआ बहियार दो पंचायत है। उक्त दो पंचायत व मुंगेर जिला मुख्यालय के बीच गंगा की मुख्य धारा होने के कारण ये जिले से कटे हुए हैं। यहां के लोग शिक्षा, स्वास्थ्य सहित सभी सुविधा को लेकर गोगरी पर ही निर्भर है। जबकि गोगरी के कटघरा, आश्रमटोला आदि गांव भी सड़क से नहीं जुड़ सकी है। दियारा क्षेत्र में बाढ़ प्रत्येक वर्ष तबाही मचाती है। अपराधी व नक्सली का तांडव भी जारी रहता है। जाने गोगरी- मुंगेर दियारा क्षेत्र के भूगोल को गोगरी जीएन तटबंध के अंदर गोगरी सीमा के बाद मुंगेर जिला आरंभ होता है। इस दियारा क्षेत्र में उत्तर से दक्षिण बूढ़ी गंडक बहती हुई पश्चिम से पूरब बहती गंगा में मिलती है। अब तक उक्त दियारा के लोग सीधे सड़क संपर्क से नहीं जुड़े हैं। बरसात के तीन माह यह क्षेत्र लगभग टापू में तब्दील रहता है। वैसे हरिणमार व झौआ बहियार को गोगरी से जोड़ने के लिए सड़क निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जबकि दुरूह भौगोलिक स्थिति का फायदा अपराधी व नक्सली उठाते रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल गोगरी के कटघरा दियारा की है। यह क्षेत्र अब तक गोगरी मुख्यालय से सीधा नहीं जुड़ सका है। गोगरी- मुंगेर दियारा अपराधियों व नक्सलियों का शरण स्थली माना जाता है। जो यहां की भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाते हुए घटनाओं को अंजाम देते हैं। यहां वर्चस्व को लेकर दर्जनों हत्याएं हो चुकी है। गोगरी एसडीपीओ पीके झा के अनुसार दियारा क्षेत्र में पुलिस को परेशानी अवश्य होती है। लेकिन पुलिस द्वारा समय-समय पर कार्रवाई भी की जा रही है। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद भी पुलिस अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ रही है।