बिहार: खगडि़या पहुंचे अन्ना हजारे, कहा- फकीर आदमी हूं, लेकिन दो-दो सरकारें गिरा दी
प्रख्यात गांधीवादी नेता अन्ना हजारे एक बार फिर बिहार पहुंचे हैं। सभा में कहा कि आज किसानों की माली हालत यह है कि माल खाये मदारी और नाच करे बंदर।
By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 03:45 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 11:18 PM (IST)
खगडि़या [जेएनएन]। प्रख्यात गांधीवादी नेता अन्ना हजारे एक बार फिर बिहार पहुंचे हैं। यहां वे किसानों की समस्या को लेकर एक जनसभा को संबोधित किया। कहा कि आज किसानों की माली हालत यह है कि माल खाये मदारी और नाच करे बंदर। मैं फकीर आदमी हूं, लेकिन दो-दो सरकारें गिरा दी।
जेएनकेटी स्टेडियम खगड़िया में शनिवार को किसानों को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि मुझे किसी पार्टी से कोई दुश्मनी नहीं है। लेकिन, जो सरकार जनता की नहीं सुनती, उस सरकार से मेरी लड़ाई शुरू हो जाती है। फकीर आदमी हूं। मंदिर में सोता हूं। मेरे पास सिर्फ बिस्तर और खाना का एक प्लेट है। जब-जब जिस सरकार ने मुझे जेल में डाला वह सरकार गिर गई। अब तक दो बार सरकार गिर चुकी है।
अन्ना ने कहा कि मैं डरने वाला नहीं हूं। मैं जो भी काम करता हूं, शहीदों को याद कर शुरू करता हूं। महाराष्ट्र से छह मंत्री और लगभग दो सौ अधिकारी अपने घर लौट गए। मैंने 25 वर्ष की उम्र में राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया, तो देश में इतना बदलाव आया। देश में युवाओं की बड़ी फौज है। अगर सौ युवा भी ऐसा निर्णय लेंगे तो देश का कायाकल्प हो जाएगा।
अन्ना हजारे ने किसानों को न्योता दिया तथा 23 मार्च को रामलीला मैदान दिल्ली आने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसको लेकर तीन महीनें से यात्रा पर हूं। बोले कि रामलीला मैदान में 31 किसान संगठनों के लोग जुटेंगे।
उन्होंने किसानों की परेशानी को सामने रखते हुए कहा कि किसानों के उत्पाद का मूल्य निर्धारण राज्य कृषि आयोग द्वारा किया जाता है। जिसमें राज्य सरकार के अधिकारी होते हैं। राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित किसानों के उत्पाद मूल्य में केंद्र सरकार 40 से 45 प्रतिशत कटौती कर देती है। जिसके कारण किसानों को सही दाम नहीं मिल पाता है।
उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुणा अधिक मूल्य मिले। नीति आयोग, वित्त आयोग की तरह केंद्र सरकार से कृषि आयोग बनाने की मांग की। जिसमें किसानों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि रहेंगे। बोले कि इसको लेकर प्रधानमंत्री को 32 बार लिखने के बाद भी जवाब नहीं मिला है। इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं। पहला, पीएम को घुमने से फुर्सत नहीं है और दूसरा उनका ‘इगो’ हो सकता है। जिसके कारण मेरे पत्रों का जवाब वे नहीं दे पा रहे हैं।
उन्होंने किसान पेंशन की मांग भी की। कहा कि किसान पेंशन बिल संसद में लंबित है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार उद्योगपतियों की सोचती है, किसानों की नहीं। यही कारण है कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं और उद्योगपति चैन की नींद सोते हैं।
उन्होंने उपस्थित किसानों से आर-पार की लड़ाई का एलान किया। मौके पर अन्ना ने काला धन, जीएसटी, देश के प्रत्येक परिवार के खाते में 15 लाख रुपये भेजने के वादे पर मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया। इस अवसर पर किसानों ने अन्ना को दाना विहीन मक्का की बाली भी भेंट की। सभा के दौरान अन्ना ने कहा कि नीतीश कुमार से हमारे अच्छे संबंध हैं। वे हमारे गांव आए थे। मैं उन्हें मक्का की समस्या को लेकर पत्र लिखूंगा।
जेएनकेटी स्टेडियम खगड़िया में शनिवार को किसानों को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि मुझे किसी पार्टी से कोई दुश्मनी नहीं है। लेकिन, जो सरकार जनता की नहीं सुनती, उस सरकार से मेरी लड़ाई शुरू हो जाती है। फकीर आदमी हूं। मंदिर में सोता हूं। मेरे पास सिर्फ बिस्तर और खाना का एक प्लेट है। जब-जब जिस सरकार ने मुझे जेल में डाला वह सरकार गिर गई। अब तक दो बार सरकार गिर चुकी है।
अन्ना ने कहा कि मैं डरने वाला नहीं हूं। मैं जो भी काम करता हूं, शहीदों को याद कर शुरू करता हूं। महाराष्ट्र से छह मंत्री और लगभग दो सौ अधिकारी अपने घर लौट गए। मैंने 25 वर्ष की उम्र में राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया, तो देश में इतना बदलाव आया। देश में युवाओं की बड़ी फौज है। अगर सौ युवा भी ऐसा निर्णय लेंगे तो देश का कायाकल्प हो जाएगा।
अन्ना हजारे ने किसानों को न्योता दिया तथा 23 मार्च को रामलीला मैदान दिल्ली आने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसको लेकर तीन महीनें से यात्रा पर हूं। बोले कि रामलीला मैदान में 31 किसान संगठनों के लोग जुटेंगे।
उन्होंने किसानों की परेशानी को सामने रखते हुए कहा कि किसानों के उत्पाद का मूल्य निर्धारण राज्य कृषि आयोग द्वारा किया जाता है। जिसमें राज्य सरकार के अधिकारी होते हैं। राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित किसानों के उत्पाद मूल्य में केंद्र सरकार 40 से 45 प्रतिशत कटौती कर देती है। जिसके कारण किसानों को सही दाम नहीं मिल पाता है।
उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुणा अधिक मूल्य मिले। नीति आयोग, वित्त आयोग की तरह केंद्र सरकार से कृषि आयोग बनाने की मांग की। जिसमें किसानों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि रहेंगे। बोले कि इसको लेकर प्रधानमंत्री को 32 बार लिखने के बाद भी जवाब नहीं मिला है। इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं। पहला, पीएम को घुमने से फुर्सत नहीं है और दूसरा उनका ‘इगो’ हो सकता है। जिसके कारण मेरे पत्रों का जवाब वे नहीं दे पा रहे हैं।
उन्होंने किसान पेंशन की मांग भी की। कहा कि किसान पेंशन बिल संसद में लंबित है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार उद्योगपतियों की सोचती है, किसानों की नहीं। यही कारण है कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं और उद्योगपति चैन की नींद सोते हैं।
उन्होंने उपस्थित किसानों से आर-पार की लड़ाई का एलान किया। मौके पर अन्ना ने काला धन, जीएसटी, देश के प्रत्येक परिवार के खाते में 15 लाख रुपये भेजने के वादे पर मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया। इस अवसर पर किसानों ने अन्ना को दाना विहीन मक्का की बाली भी भेंट की। सभा के दौरान अन्ना ने कहा कि नीतीश कुमार से हमारे अच्छे संबंध हैं। वे हमारे गांव आए थे। मैं उन्हें मक्का की समस्या को लेकर पत्र लिखूंगा।
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