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वृक्षों से यारी निभा रहे कई बुजुर्ग बांट रहे पर्यावरण संरक्षण का मंत्र

कटिहार। ग्रामीण अंचलों में अब भी कई बुजुर्ग पर्यावरण के संरक्षक बने हुए हैं। पर्यावरण संर

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 09:29 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 09:29 PM (IST)
वृक्षों से यारी निभा रहे कई बुजुर्ग 
बांट रहे पर्यावरण संरक्षण का मंत्र
वृक्षों से यारी निभा रहे कई बुजुर्ग बांट रहे पर्यावरण संरक्षण का मंत्र

कटिहार। ग्रामीण अंचलों में अब भी कई बुजुर्ग पर्यावरण के संरक्षक बने हुए हैं। पर्यावरण संरक्षण को लेकर वे पर्दे के पीछे से बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। वृक्षों से उनकी यारी की चर्चा गांव के चौपालों पर होती है। इतना ही नहीं ऐसे लोग नई पीढ़ी को भी इसके लिए सतत प्रेरित कर रहे हैं।

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हसनगंज में 75 वर्षीय पीतांबर नाथ झा की वृक्षों से अनूठी यारी रही है। वे निजी जमीन में ही सही युवावस्था से ही पेड़-पौधा लगाने में जुटे रहे हैं। अभी उनके लगाए पौधे पेड़ बन चुके हैं। कई पौधा अब पेड़ बनकर फल व लोगों को छाया देना शुरू कर दिया है। अब भी उनका समय अपने बगान में वृक्षों की देखरेख में बीतता है। इस दौरान वहां पहुंचने वाले लोगों को वे इसकी महत्ता भी समझाते हैं और उनकी प्रेरणा से कई लोग पौधे भी लगा रहे हैं। इसी तरह कोढ़ा प्रखंड के राजवाड़ा पंचायत के पूर्व मुखिया सह अधिवक्ता 85 वर्षीय सुरेश कुमार राय भी वृक्षों से यारी निभाते रहे हैं। करीब आठ एकड़ जमीन पर उनका बाग लगा है और इसमें उन्होंने खुद से पसीना भी बहाया है। और तो और दरवाजे, आंगन में खाली पड़े भूमि पर लीची, नींबू, नारियल, बेल, कटहल, अनार, आंवला, चीकू, अमरूद के कई किस्मों के पौधों के साथ-साथ सागवान, शीशम आदि के लगाए गए पौधा अब वृक्ष बन चुका है। आज भी नित्य इन वृक्षों को करीब से देखना व उसकी देखभाल को सतत तैयार रहना उनकी दिनचर्या में शामिल है।


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