अभियोजन समिति भंग, अब ड्रग इंस्पेक्टर होंगे सक्षम पदाधिकारी
नीरज कुमार कटिहार ड्रग एंड कास्मेटिक अधिनियम के तहत अब किसी आरोपित व्यक्ति संस्थान या दवा दुकानों के विरूद्ध केस दर्ज करने एवं अभियोजन संबंधी कार्रवाई की अनुमति औषधि निरीक्षकों को मुख्यालय स्तर से नहीं लेनी होगी।
नीरज कुमार, कटिहार: ड्रग एंड कास्मेटिक अधिनियम के तहत अब किसी आरोपित व्यक्ति, संस्थान या दवा दुकानों के विरूद्ध केस दर्ज करने एवं अभियोजन संबंधी कार्रवाई की अनुमति औषधि निरीक्षकों को मुख्यालय स्तर से नहीं लेनी होगी। स्वास्थ्य विभाग ने इससे संबंधित दिशा निर्देश सभी सहायक औषधि नियंत्रक एवं औषधि निरीक्षक को जारी किया है।
स्वास्थ्य विभाग ने औषधि नियंत्रण निदेशालय में गठित अभियोजन समिति को भंग कर अभियोजन का अधिकार औषधि निरीक्षकों को दिया है। सरकार के संयुक्त सचिव राम ईश्वर ने इससे संबंधित दिशा निर्देश जारी किया है। विभागीय जानकारी के मुताबिक ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत औषधि निरीक्षकों को अभियोजन का अधिकार मिला हुआ था। लेकिन राज्य भर के औषधि निरीक्षकों के अभियोजन संबंधी अधिकार को केंद्रीकृत कर औषधि नियंत्रण निदेशालय में अभियोजन समिति का गठन किया गया है। अधिनियम के उल्लंघन सहित प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री की शिकायत मिलने पर औषधि निरीक्षकों द्वारा संबंधित प्रतिष्ठान पर छापामारी तो की जाती थी लेकिन मामला दर्ज करने के लिए मुख्यालय स्तर पर गठित अभियोजन समिति से अनुमति लेनी पड़ती थी। मामला दर्ज करने एवं अभियोजन चलाए जाने की स्वीकृति मिलने में देरी के कारण इसका लाभ दोषियों को मिल जाता था।
इसका फायदा उठाकर मामले की लीपापोती तक कर दी जाती थी। अब मुख्यालय स्तर से गठित अभियोजन समिति को भंग करने का निर्णय लिया गया है। ड्रग इंस्पेक्टर को ड्रग एंड कास्मेटिक अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए मुख्यालय से अब अनुमति या स्वीकृति लेने का इंतजार नहीं करना होगा। औषधि निरीक्षक ही अब इ स मामले में सक्षम पदाधिकारी होंगे। विभागीय निर्देश के बाद ड्रग इंस्पेक्टरों को अधिनियम के तहत प्रदत्त शक्ति और भी सशक्त की गई है।
मामले की लीपापोती की नहीं होगी गुंजाइश, त्वरित होगी कार्रवाई
अभियोजन समिति को भंग करने के विभागीय निर्देश के बाद प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री, ड्रग एंड कास्मेटिक अधिनियम के उल्लंघन संबंधी मामले की लीपापोती की गुंजाईश नहीं होगी। ड्रग इंस्पेक्टरों को अभियोजन का अधिकार मिलने से इस तरह के मामलों में त्वरित कार्रवाई भी अब संभव हो सकेगी।
बताते चलें कि पिछले वर्ष बच्चों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाओं को प्रतिबंधित कर इसकी बिक्री पर रोक लगाए जाने का आदेश जारी किया गया था। स्थानीय स्तर पर भी औषधि नियंत्रण विभाग द्वारा इसको लेकर कार्रवाई की गई थी। बावजूद इसके दवा दुकानों में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री का मामला सामने आया था। कोरोना की पहली व दूसरी लहर में दवाओं की कालाबाजारी की बात भी सामने आई थी।