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यहां पट्टे पर दी जाती है रेलवे की खाली जमीन, माफिया वसूलते हैं शुल्क

कटिहार। जमीन रेलवे की और पट्टा पर दे रहा भू-माफिया। कई साल से मनिहारी गंगा घाट के

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 12:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 12:00 AM (IST)
यहां पट्टे पर दी जाती है रेलवे की खाली जमीन, माफिया वसूलते हैं शुल्क
यहां पट्टे पर दी जाती है रेलवे की खाली जमीन, माफिया वसूलते हैं शुल्क

कटिहार। जमीन रेलवे की और पट्टा पर दे रहा भू-माफिया। कई साल से मनिहारी गंगा घाट के समीप मौजूद रेलवे की जमीन पर यह खेल खेला जा रहा है। पन्द्रह हजार से बीस हजार रूपये कट्ठा तक की दर से रेलवे की जमीन को पट्टे पर दिया जा रहा है। रेलवे इस स्थिति से पूरी तरह बेखबर है। इससे राजस्व की काफी क्षति हो रही है। जबकि रेलवे की जमीन पट्टा पर दे माफिया मालामाल हो रहे हैं।

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बता दें कि मनिहारी क्षेत्र में कई एकड़ में रेलवे की जमीन है, इसमें कुछ पर रेलवे का क्वार्टर भी है। कुछ खेती योग्य जमीन है तो कुछ परती जमीन। उचित देखरेख के अभाव में इन जमीनों पर लोगों का कब्जा होता जा रहा है। एनएफ रेलवे की मनिहारी गंगा घाट में थाना नंबर 333, खाता 1201, 1202 के अलावा कई खाता में जमीन है। गंगा घाट की जमीन की रसीद 2000-2001 में अंचल मनिहारी से रेलवे बी क्लास एकसन्नी बंदोबस्ती की रसीद कुछ लोगों को कटी थी, उस समय इनके नाम से एकसन्नी बंदोबस्ती की रसीद कटी थी। उसमें से कुछ की मृत्यु भी हो चुकी है। रेलवे द्वारा मिले दिशा-निर्देश पर अंचल प्रशासन मनिहारी द्वारा 2000-2001 के बाद रेलवे की जमीन की किसी प्रकार की रसीद नहीं कट रही है। मुख्य गंगा घाट मनिहारी में मस्जिद घाट से लंच घाट के बीच रेलवे की परती जमीन पर लोगों ने कब्जा जमा लिया। प्रति साल गंगा घाट की जमीन को पन्द्रह हजार से बीस हजार रूपये प्रति कट्ठा जमीन गंगा घाट पर व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों को पट्टे पर दी जाती है। इसका कोई लिखित दस्तावेज नहीं बनता है। बस व्यवसायी से राशि लेते ही जमीन नाप उसे उपयोग के लिए दे दिया जाता है। इसको लेकर अक्सर विवाद भी होता है। गंगा घाट के सौंदर्यीकरण, शौचालय, शवदाह गृह सहित अन्य सुविधाओं के लिए विधायक मनोहर प्रसाद ¨सह ने विस सहित अन्य जगहों पर आवाज भी उठायी, पर रेल की जमीन को लेकर मामला अटक जाता है। इधर सीओ मनिहारी संजीव कुमार ने कहा कि यह गंभीर मामला है। बाढ़ बरसात के बाद पूरी वस्तु स्थिति की जानकारी लेकर रेलवे के अधिकारियों से बात की जाएगी तथा वरीय अधिकारियों को भी जमीन दी जाएगी।


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