Move to Jagran APP

पारंपरिक ढंग से मना मकर संक्रांति पर्व, गंगा घाटों पर भी उमड़ी भीड़

कटिहार। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में महापर्व मकर संक्रांति पारंपरिक ढंग से मनाया गया। प

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 07:51 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 07:51 PM (IST)
पारंपरिक ढंग से मना मकर संक्रांति
पर्व, गंगा घाटों पर भी उमड़ी भीड़
पारंपरिक ढंग से मना मकर संक्रांति पर्व, गंगा घाटों पर भी उमड़ी भीड़

कटिहार। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में महापर्व मकर संक्रांति पारंपरिक ढंग से मनाया गया। पर्व को लेकर सुबह से ही हर घर-आंगन में खास चहल पहल रही।

loksabha election banner

इधर मान्यता के अनुसार, मनिहारी व काढ़ागोला गंगा घाट पर स्नान के लिए लोगों की भीड़ भी उमड़ी रही। साथ ही लोगों ने विभिन्न मंदिरों में भी पूजा अर्चना की। दुर्गामंदिर, कालीमंदिर, बाटा चौक स्थित शिव मंदिरों में काफी संख्या में श्रद्धालु जल-फूल के साथ तिल-गुड़ के साथ भगवान की पूजा-अर्चना की। वहीं कई लोग अपने घरों में ही स्नान आदि के बाद पूजा अर्चना कर अनाज का दान कर मंकर संक्रांति का पर्व मनाया। कई जगह पतंगबाजी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इसमें बच्चों व युवाओं की विशेष भागीदारी रही।

मकर संक्राति पर लोगों ने किया दान:

सनातन परंपरा के मुताबिक सूर्य के उत्तरायण होने के अवसर पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं सुबह से अपने घरों की विशेष सफाई में जुटी रही। इस दिन लोग अहले सुबह से ही स्नान कर पितरों के तर्पण के बाद पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही इस अवसर पर दान का काफी महत्व होने के बाद लोग स्नान व पूजा के बाद अनिवार्य तौर पर घर के सभी सदस्य अनाज यथा अरवा चावल, गुड़, तिल आदि का दान किया। इसके बाद घर के लोगों ने दही-चूड़ा व तिल के लड्डू आदि का भोजन किया। मकर संक्राति की परपंरा के अनुसार लोगों ने रात को लोग खिचड़ी बनाकर अपने मित्रों एवं घर वालों के साथ ग्रहण किया। साथ ही कई जगहों पर रात्रि के समय महिलाएं एकजुट होकर गीत गाती भी नजर आयी।

कई जगह दही चूड़ा भोज का

भी हुआ आयोजन:

मकर संक्राति में राजनीतिक स्तर पर दही चूड़ा भोज का प्राचीन चलन है। शहर के कई जगह विभिन्न राजनीतिक पार्टी द्वारा भोज का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न दलों के लोग एक दूसरे को बधाई देते हुए भोज में शामिल हुए।

मकर संक्रांति के बाद होता है शुभ कार्य:

मकर संक्रांति सूर्य के मकर रेखा से एक बार फिर से विषुवत रेखा की ओर बढ़ने का दिन होता है। इस कारण इस दिन का ज्योतिष में काफी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सनातन परंपरा के मुताबिक सूर्य के उत्तरायण होने के बाद यानि मकर संक्रांति के बाद ही किसी प्रकार का कोई मांगलिक कार्य किया जा सकता है। ऐसे में लोग मकर संक्रांति का बेसब्री से इंतजार करते हैं, ताकि वे अपने मनचाहे कार्य को पूरा कर पाएं। बुजुगों की माने तो मकर संक्राति के बाद शादी ब्याह, घर निर्माण सहित अन्य शुभ कार्य की शुरूआत होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.