Move to Jagran APP

कृषि वैज्ञानिकों ने अमरूद के सूख रहे पौधों को देखा, दिए सुझाव

कटिहार। कोढ़ा प्रखंड के राजवाड़ा पंचायत में अज्ञात रोग से सूख रहे अमरूद के पौधों से बढ़ी

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 09:28 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 09:28 PM (IST)
कृषि वैज्ञानिकों ने अमरूद के सूख रहे पौधों को देखा, दिए सुझाव
कृषि वैज्ञानिकों ने अमरूद के सूख रहे पौधों को देखा, दिए सुझाव

कटिहार। कोढ़ा प्रखंड के राजवाड़ा पंचायत में अज्ञात रोग से सूख रहे अमरूद के पौधों से बढ़ी किसानों की बेचैनी की सुधि बुधवार को ली गई। दैनिक जागरण में छपी खबर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अमरूद बगान का निरीक्षण किया। विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. केपी सिंह के नेतृत्व में पौधा संरक्षक निरीक्षक अनिल कुमार गौरव, सहायक निदेशक जितेंद्र कुमार व प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अमित कुमार पांडे ने बागानों का निरीक्षण कर किसानों को इस रोग से बचाव के लिए आवश्यक सुझाव दिए। डॉ. केपी सिंह ने बताया कि फ्यूजेरिलम विल्ट की वजह से यह रोग लगता है। इसे उकठा रोग कहा जाता है। इससे पौधा सूखने लगता है। उन्होंने बताया कि राजवाड़ा पंचायत क्षेत्र के अमरूद बगानों में दो से तीन प्रतिशत फ्यूरोरिलम रोग का प्रकोप पाया गया है। निरीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने मौजूद किसानों को इस रोग से बचाव हेतु सुझाव देते हुए बताया गया कि रोग से प्रभावित टहनी को काटकर जला देना चाहिए। इसके अलावा दस ग्राम ट्राइकोडरमा, पांच से दस किलो ग्राम सड़ी गोबर की खाद मे मिलाकर पौधे के जड़ में देने से फायदा होगा। इसके अलावा प्रति लीटर पानी मे बेबीस्टिन तीन ग्राम का घोल बनाकर पौधे के जड़ों के पास की मिट्टी को भिगोना है। साथ ही एक सौ ग्राम चूना और पांच सौ ग्राम नाइट्रोजन,तीन ग्राम फास्फोरस,पांच सौ ग्राम पोटाश व 50 ग्राम सुहागा को मिलाकर प्रत्येक वर्ष प्रति पौधा के जड़ के चारों ओर डालकर मिट्टी से भर हल्की सिंचाई करने का सुझाव दिया। इस मौके पर मौजूद किसान मोहन सिंह, पवन सिंह, उमेश सिंह, भोला सिंह, ठाकुर प्रसाद सिंह, रामप्रीत सिंह ने इस पहल पर दैनिक जागरण का भी आभार जताया। उन्होंने कहा कि दैनिक जागरण जन सरोकार से जुड़ी क्षेत्र की हर समस्या को प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। आज दैनिक जागरण के कारण ही वैज्ञानिकों का दल यहां पहुंचा है। बता दें कि राजवाड़ा पंचायत क्षेत्र में अमरूद की विभिन्न किस्मों के करीब सौ एकड़ के रकवे में खेती होती है। दो तीन वर्षों से उकठा रोग की वजह से अमरूद की खेती का रकवा सिमटने लगा है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.