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कोर्ट ने तलब की प्रतिबंधित सम्मिश्रण दवा की खपत रिपोर्ट

कटिहार। प्रोस्टेंट ग्लैंड और प्रोस्टेंट कैंसर की बीमारी में काम आनेवाली डेफ्लाकोट एवं ट

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 08:01 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 08:01 PM (IST)
कोर्ट ने तलब की प्रतिबंधित 
सम्मिश्रण दवा की खपत रिपोर्ट
कोर्ट ने तलब की प्रतिबंधित सम्मिश्रण दवा की खपत रिपोर्ट

कटिहार। प्रोस्टेंट ग्लैंड और प्रोस्टेंट कैंसर की बीमारी में काम आनेवाली डेफ्लाकोट एवं टेमसुलोसिन एचसीएल की सम्मिश्रण दवा को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हुए इसकी बिक्री एवं भंडारण पर रोक लगाते हुए लाइसेंस रद किए जाने का आदेश औषधि महानियंत्रक द्वारा जारी किया गया है। प्रतिबंध के बाद भी सम्मिश्रण दवा की बिक्री किए जाने को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी। कोर्ट के आदेश के बाद राज्य औषधि नियंत्रक ने सभी औषधि नियंत्रक एवं औषधि निरीक्षक को इस दवा की अब तक खपत, उपभोग करने वाले लोगों की संख्या तथा दुष्प्रभाव से संबंधित रिपोर्ट तलब की है। डेफ्लाकोट सिगल डोज की दवा की बिक्री को प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है। लेकिन टेमसुलोसिन एचसीएल के साथ इसके कंबीनेशन को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है। बताते चलें कि सम्मिश्रण दवा के दुष्प्रभाव को लेकर मुजफ्फरपुर के औषधि निरीक्षक विकास शिरोमणि ने केंद्रीय औषधि महानियंत्रक एवं राज्य औषधि नियंत्रक को जांच रिपोर्ट भेजी थी। राज्य में दवा कंपनियों द्वारा मानव स्वास्थ्य के लिए घातक दवा बेचे जाने एवं इसकी बिक्री तथा भंडारण के लिए लाइसेंस औषधि विभाग द्वारा निर्गत करने का मामला विधान परिषद में भी उठाया जा चुका है। हाई कोर्ट में दायर हुई थी जनहित याचिका

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डेफ्लाजाकोट एचसीएल एवं टेमासुलोसिन एचसीएल की कंबीनेशन दवा की बिक्री एवं इससे मानव स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने तल्ख आदेश जारी करते हुए कहा कि अब तक इस दवा की कितनी खपत हुई तथा इसके दुष्प्रभाव से संबंधित रिपोर्ट दो मार्च तक समर्पित करें।

निर्देश के बाद विभाग में मची खलबली

खपत संबंधी रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद औषधि विभाग में खलबली मची हुई है। रिपोर्ट अपडेट करने में सहायक औषधि नियंत्रक एवं औषधि नियंत्रक का पसीना छूट रहा है। औषधि निदेशालय द्वारा खपत संबंधी रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद भी अधिकांश जिलों से इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को प्राप्त नहीं हुआ है।


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