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ये तो अपना है मगर वो भी पराया नहीं..

कटिहार। सीट बंटवारें के बाद से राजग में मची जमीनी हलचल अब भी थम नहीं पाई है। या यूं कह

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 06:51 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 06:51 PM (IST)
ये तो अपना है मगर वो भी पराया नहीं..
ये तो अपना है मगर वो भी पराया नहीं..

कटिहार। सीट बंटवारें के बाद से राजग में मची जमीनी हलचल अब भी थम नहीं पाई है। या यूं कहें नामांकन की प्रक्रिया के बाद इसकी गति और तेज होने लगी है। वैसे पार्टी पदाधिकारी लगातार सार्वजनिक मंच पर इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं, लेकिन दबे स्वर में सच्चाई भी स्वीकार करने से उन्हें गुरेज नहीं है। खासकर सीमांचल के कटिहार व पूर्णिया लोस सीट पर यह हलचल कुछ ज्यादा ही तेज है और इसे शांत करने की कवायद भी अंदर ही अंदर तेज हो गई है।

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कटिहार में भाजपा की परंपरागत सीट जदयू के कोटे में जाने से भाजपा कार्यकर्ता इस टीस को अब तक पचा नहीं पाए हैं। यद्यपि अब तक की गतिविधियों में उनकी सहभागिता जरुर दीख रही है, लेकिन दिल का दर्द चेहरे से बरबस ही झलक जाता है। मैदान मारने का जोश इन चेहरों में तलाश करनी पड़ रही है। इधर भाजपा के बागी के तौर पर विधान पार्षद अशोक अग्रवाल द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन कर दिए जाने से इस हलचल को और गति मिली है। भाजपाई लाख नकारे मगर अशोक अग्रवाल पार्टी के एक स्तंभ बन चुके थे और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग भी उनसे सहानुभूति रखता है। गत एक साल से पार्टी के अधिकांश बड़े कार्यक्रमों में भी उनकी अहम भागीदारी रही है, जिसे पार्टी के कई वरीय नेता भी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं के इस वर्ग की स्थिति दोराहे पर खड़े पथिक की तरह हो गई है। एक तरफ पार्टी धर्म तो दूसरी तरह व्यक्तिगत लगाव। नामांकन के दौरान भी कई ऐसे चेहरे भी भीड़ में दिख रहे थे, जो कभी भाजपा के कार्यक्रम में भी दिखते थे। ऐसे ही एक सज्जन ने बस इतना कहा कि ये तो अपना है मगर वो भी पराया नहीं..। कमोवेश पूर्णिया में भी यही स्थिति अब तक बनी हुई है। लगभग डेढ़ दशक तक भाजपा का बड़ा चेहरा रहे उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह द्वारा पूर्णिया सीट जदयू कोटे में जाने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में नामांकन किए जाने के बाद निचले स्तर के कार्यकर्ताओं का लगाव कहीं से टूट नहीं पाया है। दो बार भाजपा के टिकट पर सांसद चुने जाने व गत लोकसभा चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशी रहे उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह संगठन को भी लगातार सशक्त करने में अहम भूमिका निभाते रहे थे। ऐसे में अबकी भले ही वे कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में मैदान में है, लेकिन कार्यकर्ताओं का एक वर्ग इस विलगाव को हजम नहीं कर पा रहे हैं। यह दरार घटने की बजाय बढ़ने लगी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस जमीनी हकीकत से भाजपा व जदयू के वरिष्ठ नेता भी अवगत हो चुके हैं और इससे उबरने को लेकर बड़ी कार्य योजना पर जमीनी स्तर पर अभियान भी तेज कर दिया गया है।


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