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गर्मी का कहर, छह फीट तक नीचे खिसका भूमिगत जलस्तर

कटिहार। भीषण गर्मी का कहर भूमिगत जलस्तर पर भी पड़ा है। पीएचईडी की रिपोर्ट के मुताबिक

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 12:45 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 12:45 AM (IST)
गर्मी का कहर, छह फीट तक नीचे खिसका भूमिगत जलस्तर
गर्मी का कहर, छह फीट तक नीचे खिसका भूमिगत जलस्तर

कटिहार। भीषण गर्मी का कहर भूमिगत जलस्तर पर भी पड़ा है। पीएचईडी की रिपोर्ट के मुताबिक जलस्तर में पांच से छह फीट तक की कमी दर्ज की गई है। जिले के भूमिगत जलस्तर में औसत तीन फीट तक की कमी आई है। मनिहारी एवं अमदाबाद प्रखंड में जलस्तर में सबसे अधिक कमी आंकी गई है। जलस्तर नीचे जाने के कारण चापाकल भी हांफने लगा है। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहरी क्षेत्र में भी जलस्तर तीन फीट नीचे तक पहुंच गया है। पिछले चार दशक की अपेक्षा इस साल जलस्तर नीचे जाने का ग्राफ अपेक्षाकृत अधिक है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मुताबिक अभी पेयजल संकट जैसी स्थिति नहीं है। लेकिन भीषण गर्मी का कहर 10 दिन और रहा तो कई इलाकों में पेयजल की किल्लत हो सकती है। शहरी क्षेत्र एवं हसनगंज प्रखंड में जलस्तर नीचे जाना भी आने वाले समय के लिए संकट का संकेत है। जिले का सामान्य जलस्तर 12 फीट तक माना गया है। शहरी क्षेत्र में चार फीट तथा हसनगंज में तीन फीट तक जलस्तर नीचे खिसका है। वर्षापात में कमी तथा तापमान में लगातार वृद्धि को जलस्तर में कमी का कारण माना जा रहा है। पिछले वर्ष जून महीने में जलस्तर में एक से डेढ़ फीट तक की ही कमी आंकी गई थी। बताते चलें कि गर्मी के मौसम में मनिहारी नगर पंचायत के कुछ वार्डों में हर वर्ष जलस्तर में अपेक्षाकृत अधिक कमी आंकी जाती है। लेकिन इस वर्ष प्रखंड के बौलिया पंचायत में जलस्तर छह फीट नीचे तक खिसक गया है।

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प्रखंड- जलस्तर में कमी

मनिहारी- पांच से छह फीट

अमदाबाद- पांच फीट

हसनगंज- तीन फीट

बारसोई- 3.5 फीट

कोढ़ा- 2.5 फीट

कुर्सेला- तीन फीट

प्राणपुर- दो फीट

फलका- 2.75 फीट

डंडखोरा- तीन फीट

समेली- दो फीट

मनसाही- चार फीट

बलरामपुर- तीन फीट

आजमनगर- 3.25 फीट

कदवा- 2.5 फीट

कटिहार शहरी क्षेत्र- तीन से चार फीट कोट:

भीषण गर्मी एवं बारिश नहीं होने के कारण कई स्थानों पर भूमिगत जलस्तर नीचे गया है। विभाग द्वारा इसकी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेजी गई है। जिले में पेयजल संकट जैसी अभी कोई स्थिति नहीं है। लेकिन भीषण गर्मी का कहर कुछ दिन और जारी रहा तो कुछ इलाकों में पेयजल संकट की स्थिति बन सकती है। पिछले कुछ वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष गर्मी के मौसम में जलस्तर में अपेक्षाकृत अधिक कमी आंकी गई है। -सुबोध शंकर, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी

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