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आवश्यक: यहां आग से भी तबाह होती है जिदगानी

खास बातें.. - हर साल सौ से अधिक अगलगी की होती बड़ी घटना - एक माह में आगलगी की डेढ़

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 12:52 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 12:52 AM (IST)
आवश्यक: यहां आग से भी तबाह होती है जिदगानी
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खास बातें..

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- हर साल सौ से अधिक अगलगी की होती बड़ी घटना

- एक माह में आगलगी की डेढ़ दर्जन हुई घटना

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जागरण संवाददाता, कटिहार : गंगा, महानंदा व कोसी से घिरे जिले में हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले लोगों के लिए आग का कहर भी जमकर बरसता है। आंकड़ों की माने तो हर वर्ष अगलगी की सौ से अधिक घटना होती है। दियारा इलाके में अगलगी की घटना सबसे अधिक होती है। मार्च के दूसरे सप्ताह के बाद लोग अगलगी को लेकर सशंकित रहने लगते हैं। एक माह में अगलगी की डेढ़ दर्जन छोटी बड़ी घटना हो चुकी है। दो दिन पूर्व गैस सिलेंडर में लगी आग के कारण 10 परिवारों के घर जल गए थे। जबकि एक सप्ताह पूर्व कदवा प्रखंड में पाट गोदाम में लगी आग में लाखों की क्षति हुई थी। इस घटना में आधा दर्जन दुकान जलकर राख हो गया था। बारसोई में अगलगी में एक दर्जन घर जलकर राख हो गया। आग के तांडव से अन्य प्रखंड भी प्रभावित रहा। मौसम में बदलाव और पछुआ हवा के कारण अगलगी की बढ़ती घटना से ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे घरों में रहने वाले लोग सहमे रहते हैं। जिले का अमदाबाद, मनिहारी, कोढ़ा, बलरामपुर, कदवा, बारसोई, आजमनगर, प्राणपुर एवं डंडखोरा प्रखंड संवेदनशील है। अग्निशमन की लचर व्यवस्था के कारण आग पर काबू पाना भी चुनौती साबित होती है। संसाधन व कर्मियों की कमी के कारण अग्निशमन विभाग भी भीषण अगलगी की घटना में खुद को असहाय महसूस करता है। शहर में भी मंडरा रहा खतरा

अगलगी को लेकर शहर भी संवेदनशील है। बाजारों में अगलगी की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध नहीं है। हाल ही में बंद पड़े कटिहार फ्लॉर मिल में अगलगी की भीषण घटना हो चुकी है। दो वर्ष पूर्व मंगलबाजार में भीषण अगलगी की घटना लोगों के जेहन में अब भी ताजा है। वहीं भेरिया रहिका में भी गत वर्ष भीषण अगलगी की घटना हो चुकी है। एक वर्ष पूर्व एक चूड़ी गोदाम में लगी भीषण आग पर काबू पाने में घंटों लग गए थे। मुख्य बाजार में बोरिग की सुविधा नहीं रहने के कारण आग लगने की स्थिति में दमकल गाड़ी को पानी के लिए भटकना पड़ता है।

विद्युत तार के कारण भी होती है घटना :

शहरी क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर कवर वायर तो लगाया गया है, लेकिन इसके लिए पोल पर जैक बाक्स में तार मकड़जाल की तरह उलझा हुआ है। इसके कारण गर्मी के मौसम में स्पार्किंग के कारण शॉट सर्किट की संभावना बनी रहती है। भीड़-भाड़ वाले इलाके में पोल पर आग लगने के कारण अफरा तफरी मच जाती है। बता दें कि अधिकांश आगलगी की घटना में शार्ट सर्किट की बात सामने आती है। लेकिन शहर के प्रमुख बाजारों में विद्युतीकरण की व्यवस्था दुरूस्त नहीं रहने एवं सड़क के काफी समीप से ताज गुजरने के कारण दुर्घटना की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।


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