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मनिहारी के लोगों को प्रतिवर्ष गंगा दे जाती है कटाव की पीड़ा

कटिहार। नदियों में प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ व कटाव से मनिहारी अनुमंडल क्षेत्र का भूगोल लगातार बदलता जा रहा है। गंगा के जलस्तर में वृद्धि के साथ ही संभावित बाढ़ के खतरे की चेतावनी भी मिलने लगी है। हालांकि बाढ़ व कटाव को लेकर विभागीय स्तर पर साल दर साल कटाव निरोधी कार्य जरूर होते रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 08:58 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 08:58 PM (IST)
मनिहारी के लोगों को प्रतिवर्ष गंगा दे जाती है कटाव की पीड़ा

कटिहार। नदियों में प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ व कटाव से मनिहारी अनुमंडल क्षेत्र का भूगोल लगातार बदलता जा रहा है। गंगा के जलस्तर में वृद्धि के साथ ही संभावित बाढ़ के खतरे की चेतावनी भी मिलने लगी है। हालांकि बाढ़ व कटाव को लेकर विभागीय स्तर पर साल दर साल कटाव निरोधी कार्य जरूर होते रहा है। इन तमाम दावों के बीच गंगा की बदलती धारा व गंगा में जमा गाद जख्म दे जाता है। बाढ़ और कटाव यहां महज सियासी विलाप बनकर रह जाता है। साल दर साल बाढ़ व कटाव क्षेत्र के लोगों को जख्म देते आ रही है।

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बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल कटिहार के अधीन मनिहारी सिग्नल टोला से अमदाबाद प्रखंड का चौकियां पहाड़पुर तक 30 से 32 किलोमीटर तक का क्षेत्र आता है, जहां गंगा नदी गांव से हटकर कुछ दूरी पर बहती है। इन 30 से 32 किलोमीटर के बीच करीब 18 किलोमीटर तक तटबंध ही नहीं है। जबकि मात्र 12 से 14 किलोमीटर के आसपास ही पूर्व निर्मित तटबंध व जमींदारी बांध है। शेष बचे 18 किलोमीटर तक खुला रहने के कारण गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने के साथ ही पानी का प्रवेश गांव के निचले इलाकों में होने लगता है। मनिहारी के कांटाकोश से गुवागाछी हाईस्कूल तक ढाई किलोमीटर तथा अमदाबाद के हरदेव मेघु टोला से चौकियां पहाड़पुर तक लगभग नो किलोमीटर के आसपास निर्माण कार्य होना है। जिसके लिए भू-अर्जन प्रक्रियाधीन है।

रेलवे ब्रिज के नीचे से आती है पानी ----------

आजमपुरगोला स्कूल से कांटाकोश तक साढे सात किलोमीटर तक रेलवे लाइन के भरोसे ही काम चल रहा है। जगह-जगह रेलवे ब्रिज होने के कारण पानी ब्रिज के नीचे से क्षेत्र में आती है। मोटे अनुमान के अनुसार मनिहारी सिग्नल टोला से पीर पहाड़ तक रेलवे का तटबंध है। वही बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल कटिहार के अधीन मनिहारी पीर पहाड़ से हाट तक आधा किलोमीटर से कुछ अधिक तथा लंच घाट मंदिर के समीप से आजमपुरगोला स्कूल तक एक किलोमीटर में जमींदारी बांध है। जबकि आजमपुरगोला स्कूल से गुवागाछी हाई स्कूल तक करीब दस किलोमीटर तक तटबंध है ही नहीं। वहीं गुवागाछी हाई स्कूल से हरदेव मेघु टोला तक पूर्व निर्मित दस किलोमीटर तक तटबंध है। जो सुरक्षित है। इसके बाद हरदेव मेघु टोला से चौकियां पहाड़पुर के बीच पूर्व में तटबंध था। जो वर्तमान में अब नहीं है। यहां भी करीब नो किलोमीटर तक तटबंध है ही नहीं। विभागीय जानकारी के मुताबिक कांटाकोश से गुवागाछी स्कूल तक ढाई किलोमीटर तथा हरदेव मेघु टोला से चौकिया पहाड़पुर के बीच आठ से नौ किलोमीटर में नए तटबंध के निर्माण के लिए विभाग की ओर से भू अर्जन का प्रस्ताव भेजा गया था। सरकार की ओर से भू-अर्जन के लिए गजट का प्रकाशन भी किया जा चुका है, जो प्रक्रियाधीन है।


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