Move to Jagran APP

घटता जा रहा मखाना का रकबा, नहीं मिल रहा कच्चा मखाना का उचित भाव

संवाद सूत्र गेड़ाबाड़ी (कटिहार) कोढ़ा प्रखंड मखाना की खेती के लिए जाना जाता है। यहां मखाने का उत्पादन बहुतायत में होती है। इसकी मांग देश- विदेशों में काफी है। इसका उत्पादन तालाब और निचले इलाकों में खेतों में होती है। मखाना इस इलाके की नकदी फसल है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 09:56 PM (IST)
घटता जा रहा मखाना का रकबा, नहीं 
मिल रहा कच्चा मखाना का उचित भाव
घटता जा रहा मखाना का रकबा, नहीं मिल रहा कच्चा मखाना का उचित भाव

संवाद सूत्र, गेड़ाबाड़ी (कटिहार): कोढ़ा प्रखंड मखाना की खेती के लिए जाना जाता है। यहां मखाने का उत्पादन बहुतायत में होती है। इसकी मांग देश- विदेशों में काफी है। इसका उत्पादन तालाब और निचले इलाकों में खेतों में होती है। मखाना इस इलाके की नकदी फसल है।

loksabha election banner

कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के भटवारा, खेरिया, फुलवरिया दीघरी आदि क्षेत्रों में दर्जनों किसान हर साल मखाना तैयार कर देश के कई हिस्सों में भेजते थे जिससे किसानों को काफी आमदनी होती थी। मगर जीविकोपार्जन का साधन बना मखाना की खेती कोढ़ा प्रखंड के भटवारा, खेरिया, फुलवरिया दीघरी आदि क्षेत्रों से सिमटता जा रहा है। प्रखंड क्षेत्र में पहले मखाना की खेती व्यापक रूप से की जाती थी। कई किसानों के लिए इसकी खेती अस्थाई रूप से रोजगार का साधन बना हुआ था, लेकिन अब लोग धीरे-धीरे इसकी खेती से मुकरने लगे हैं। किसान सुरेन्द्र प्रसाद मेहता ने बताया कि लगभग 25 बीघा में मखाना की खेती किया करते थे जिनमें बीघा के हिसाब से सात से आठ क्विंटल मखाना हुआ करता था। लेकिन इस साल कच्चे मखाना की दर बहुत कम हो गई है। अभी मखाना एक बीघे में तीन से चार क्विंटल हो रहा है। एक बीघा मखाने में वर्षा नहीं होने की स्थिति में 30 से 40 हजार खर्च आता था, लेकिन अब मखाना का उत्पादन कम होने से उस हिसाब से आमदनी नहीं होती है। कच्चे मखाना का भाव 12 से 13 हजार रुपये प्रति क्विटल तक है। इसके कारण मुनाफा नहीं हो रहा है। किसान भरत शर्मा, सूरज शर्मा, घनश्याम मंडल, शशि मंडल, प्रदीप मंडल ने बताया कि कोढ़ा प्रखंड में मखाना की खेती बड़े ही लगन से की जाती थी, जहां सालों भर पानी जमा रहता है, लेकिन जलग्रहण क्षेत्रों की सफाई नहीं होने एवं मिट्टी भर जाने से मखाना की खेती प्रभावित हो रही है। मखाना की खेती भटवारा में बड़े पैमाने पर होती थी। कोढ़ा में मखाना के बीज को कुशल कारीगर द्वारा तोड़कर मखाना बाहर निकाला जाता था। जिसे सीधे देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता था, लेकिन अब यह रोजगार लोग छोड़ने लगे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.