पुलिस कार्रवाई के बाद भी शराब तस्करी पर अंकुश नहीं
नीरज कुमार कटिहार शराबबंदी को लेकर लगातार सख्ती बरतने के बाद भी शराब तस्करी पर अंकुश नहीं लग पाया है।
नीरज कुमार, कटिहार : शराबबंदी को लेकर लगातार सख्ती बरतने के बाद भी शराब तस्करी पर अंकुश नहीं लग पाया है।
सड़क मार्ग के जरिए देसी तो ट्रेनों के माध्यम से अंग्रेजी शराब की तस्करी की जा रही है। पिछले 20 दिनों में वाहन चेकिग के दौरान विभिन्न थाना क्षेत्रों में भारी मात्रा में शराब की बरामदगी हुई। वहीं ट्रेनों से भी अंग्रेजी शराब की बरामदगी की गई। सड़क मार्ग से शराब तस्करी में तस्करों की गिरफ्तारी तो हो रही है, लेकिन ट्रेन से शराब बरामद होने के बाद भी तस्कर रेल पुलिस के हाथ नहीं आ रहा है। हालांकि छापेमारी अभियान के कारण चोरी छुपे देसी शराब बनाए जाने के मामलों में कमी आई है। लेकिन अब भी सुदूर देहाती इलाकों में खेत खलिहानों में देसी शराब तैयार किए जाने का काम किया जा रहा है। देसी शराब बनाने के लिए नौसादार की गोली का उपयोग किया जाता है। हाल के दिनों में जिले के विभिन्न स्थानों पर छापामारी में नौसादार की गोली पुलिस ने बरामद की है। नौसादार का उपयोग देसी शराब को जल्दी तैयार करने के लिए किया जाता है। इसका अधिक मात्रा में उपयोग मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर होता है। नशे की गोली भी शराब तस्करों द्वारा देसी शराब में मिलाई जाती है। इससे शराब जहरीली तक हो सकती है।
कइयों ने शराब से की तौबा, जी रहे खुशहाल जिदगी
शराबबंदी के बाद कइ्र लोगों ने इस धंधे को तौबा कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर खुशहाल जिदगी जी रहे हैं। देसी शराब बनाने के काम में संलिप्त महिलाओं को जीविका के सतत जीविकोपार्जन योजना से आशा कि किरण दिखाई दी है। दर्जनों महिलाएं सतत जीविकोपार्जन से अपना रोजगार कर रही हैं। प्राणपुर प्रखंड के शाहनगर के निवासी सोना हेम्ब्रम पूर्व में देसी शराब बनाने व बेचने का काम करते थे। शराबबंदी अभियान के तहत चलाए गए जागरूकता कार्यक्रम से प्रेरित होकर इस धंधे से तौबा कर चाय व पान की दुकान खोल अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। इसी प्रखंड के खोजाटीहाट की सुनीता सोरेन पढ़ी लिखी महिला है। गांव में अन्य महिला के साथ सुनीता भी इस धंधे से जुड़ गई। सुनीता ने भी शराब बनाने के धंधे को तौबा कर अब गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम कर रही है।