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विशेष - कोसी की रसोई में पहुंचता है दियारा का परवल

फोटो -22केएटी 12 खास बातें.. - दियारा के परवल की कोसी में रहती है विशेष डिमांड बा

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 12:51 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 12:51 AM (IST)
विशेष - कोसी की रसोई में पहुंचता है दियारा का परवल

फोटो -22केएटी: 12

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खास बातें..

- दियारा के परवल की कोसी में रहती है विशेष डिमांड बाढ़ के नुकसान की होती है भरपाई

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कोट - दियारा क्षेत्र में किसान लतदार सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। किसानों को समूह के माध्यम से खेती करने एवं संगठन बनाकर उत्पाद बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। दियारा का क्षेत्र सब्जी उत्पादन के लिए उपयुक्त है। नुकसान की भरपाई के लिए किसान उच्च मूल्य वाले फसलों की खेती कर रहे हैं। इसके विस्तार के साथ वैज्ञानिक पद्धति पर जोर देने का प्रयास किया जा रहा है।

पंकज कुमार, कृषि वैज्ञानिक, केवीके, कटिहार।

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नंदन कुमार झा, जासं, कटिहार : आपराधिक घटनाओं के लिए चर्चित गंगा व कोसी के दियारा की सब्जी उत्पादन में भी अलग पहचान है। दियारा में उत्पादित सब्जियां सीमांचल के साथ-साथ कोसी के हर थाल तक पहुंच रही है। उपयुक्त जलवायु और अनुकूल मिट्टी के कारण दियारा क्षेत्र में सब्जियों की वृहत पैमाने पर उत्पादन होता है। दियारा का परवल कोसी क्षेत्र के बाजारों में पहुंचता है। सब्जी की खेती बाढ़ की विभीषिका से त्रस्त किसानों के लिए वरदान है। सब्जी का उत्पादन कर किसान हुए नुकसान की भरपाई भी कर लेते हैं।

दियारा के लगभग पांच हजार हेक्टेयर में किसान सब्जियों की खेती कर रहे हैं। गंगा, कोसी व महानंदा से घिरे जिले के दियारा क्षेत्र में जुलाई से नवंबर तक पानी का फैलाव रहने के कारण फसल का उत्पादन नहीं होता है। लेकिन दिसंबर की शुरूआत से ही किसान सब्जी की खेती प्रारंभ कर देते हैं। मार्च से सब्जियों का उत्पादन शुरु होता है। दियारा क्षेत्र में मुख्य रूप से परवल, खीरा, तरबूज, ककरी, कद्दू, करेला सहित लतदार सब्जियों का वृहत उत्पादन होता है। जबकि मिश्रित मिट्टी वाले दियारा क्षेत्र में किसान अग्रेतर गोभी का उत्पादन भी करते हैं।

कोसी की हर मंडी में पहुंचता है परवल :

जिले के मनिहारी, अमदाबाद, बरारी, कुर्सेला, प्राणपुर के दियारा क्षेत्र में वृहद पैमाने पर किसान परवल की खेती करते हैं। गुणवत्ता के साथ बेहतर स्वाद के कारण कोसी के बाजारों में इसकी काफी डिमांड रहती है। स्थानीय बाजारों में आपूर्ति के साथ ही किसान संगठन के माध्यम से मंडियों तक परवल भेजते हैं। इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलता है। जबकि दियारा में उत्पादित तरबूज व ककरी की आपूर्ति विभिन्न शहरों में होती है। इसके साथ ही खीरा, कद्दू, करेला सहित अन्य लतदार सब्जियों का उत्पादन होता है। मुख्य रूप से मनिहारी की उत्पादित परवल लोगों की पहली पसंद होती है और इसका बाजार मूल्य भी अधिक रहता है। बदल रही किसानों की आर्थिक स्थिति: बाढ़ से सलाना तबाही के बाद भी दियारा में उच्च मूल्य वाली फसलों का उत्पादन कर किसान संपन्न हो रहे हैं। दियारा क्षेत्र के किसान मनोज मंडल, ब्रजेश बिद, विपीन यादव, बैजनाथ यादव, किशोरी बिद आदि बताते हैं कि लतदार सब्जियों की खेती से बेहतर आमदनी होती है। इससे उनके नुकसान की भरपाई हो रही है। अगर बाजार को लेकर कोई उन्नत व्यवस्था हो तो उनकी आमदनी और बढ़ेगी। इस दिशा में अगर बेहतर पहल हो तो यह किसानों के लिए यह बेहतर विकल्प साबित होता है।


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